विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष — उर्मिला मोरे

दुनिया भर के लिए मुसीबत बनता प्लास्टिक और उससे होने वाला प्रदूषण
हर वर्ष 5 जून को मनाया जाने वाला विश्व पर्यावरण दिवस हमें प्रकृति के प्रति अपने जिम्मेदारियों का एहसास कराता है। यह प्रश्न विचारणीय है कि पर्यावरण के प्रति हम कितने जागरूक हैं। जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण और वनों की कटाई जैसे मुद्दों पर चर्चा होती रही है ।स्कूलों मीडिया और सरकारी अभियानों ने पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा दिया है। कई लोग पेड़ लगाने, पानी बचाने और कचरा कम करने का प्रयास भी करते हैं। किंतु प्लास्टिक
प्रदूषण एक ऐसा गंभीर संकट है जहां हमारी जागरूकता अभी भी अपर्याप्त है
। आंकड़े के अनुसार भारत हर दिन लगभग 20000 टन प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहा है जिसका एक बड़ा हिस्सा नदियों ,समुद्र में आकर जमा हो रहा है। प्लास्टिक न सिर्फ पर्यावरण को दशकों तक प्रदूषित करता है बल्कि यह माइक्रो प्लास्टिक के रूप में हमारी खाद्य श्रृंखला और पानी में प्रवेश कर स्वास्थ्य के लिए भी भयावह खतरा बन रहा है ।जानवर और पक्षी इसे खाकर मर रहे हैं नदिया और समुद्र डोपिंग ग्राउंड बन रहा है ।
प्लास्टिक के खतरे के प्रति सामूहिक जागरूकता को बढ़ावा देना आवश्यक है इसको पाठ्यक्रम में पर्यावरण विज्ञान और प्लास्टिक के दुष्प्रभावों को अनिवार्य रूप से शामिल करना चाहिए ।
ग्रामीण पंचायतो,स्थानीय संगठनों द्वारा प्लास्टिक उपयोग पर नियंत्रण के लिए नियमित बैठक, स्ट्रीट प्ले और प्लास्टिक मुक्त मेले का आयोजन ,प्रभावी वीडियो और डॉक्यूमेंट्री दिखाना कुछ जागरूकता फैलाने के उपाय बन सकते हैं ।उन लोगों और समुदायों की कहानियां सार्वजनिक करना वांछित है जिन्होंने प्लास्टिक का उपयोग कम किया है या विकल्प अपनाये हैं ।
सिंगल युज प्लास्टिक मुक्त बाजारों, दुकानों और कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए कपड़े के थैले स्टील कांच के बर्तन मिट्टी के कूल्हड परम्परागत पत्तल दोने आदि जैसे विकल्पों को सुलभ करने में भूमिका निभाई जा सकती है ।
आम लोगों को यह समझाना कि गीले सुखेकचरो का अलगाव कितना जरूरी है। प्लास्टिक को रिसाइकल बिन में डालने की आदत विकसित करना आवश्यक है ।
प्लास्टिक प्रदूषण अब सिर्फ कूड़े की समस्या नहीं बल्कि एक वैश्विक मुसीबत है। विश्व पर्यावरण दिवस केवल एक दिन का प्रतीक नहीं बल्कि सतत प्रयासों का आह्वान है जागरूकता तभी सार्थक होगी जब वह व्यवहार, परिवर्तन और सामूहिक कारवाई का प्रयास हो। हर व्यक्ति एक कदम उठाए प्लास्टिक की थैली में सामान लाने से मना करके पानी की बोतल साथ ले कर चले रीसाइकलिंग को अपनाकर हम खुद का योगदान तो दे ही सकते हैं सामूहिक जागरूकता और प्रतिबद्धता से ही हम प्लास्टिक के बढ़ते खतरों को रोक सकते हैं और धरती को बेहतर बना सकते हैं प्लास्टिक के प्रयोग में कमी लाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी और भविष्य के लिए अनिवार्य कदम है।
उर्मिला मोरे