योग भगाए रोग — उर्मिला पाण्डेय

योग का अर्थ होता है जोड़ना अर्थात हम अपने को उस परमात्मा के ध्यान में जब जोड़ते हैं उसे योग कहते हैं।योग साधना में सूर्य नमस्कार आदि सभी आते हैं जिससे शरीर सही स्वस्थ रहता है।योग के द्वारा हम अपनी श
श्वांस को तालू में बृह्माण्ड में साध लेते हैं इस तरह से हमारे जीवन की श्वासें बढ़ जातीं हैं हमारे ऋषियों मुनियों ने योग साधना से ही लम्बी लम्बी उम्र प्राप्त की।
अंत में नीरोग हुए।
हम सभी योग (योगा)को भूल चुके थे परंतु बाबा रामदेव ने सभी को योग करने को कहा और सभी करते हैं। सभी को योग करना और प्रातःकाल उठकर शुद्ध वायु में घूमना सिखा दिया।
जिससे सभी नर नारियों को बहुत आराम मिला स्वास्थ्य सही हुआ।
योग ही जीवन का आधार है। यदि हम भगवान से नहीं जुड़ेंगे तो ये मानव जीवन ही बेकार है।
इस बात पर विचार करके हमें रोज ही योग साधना करनी चाहिए और सूर्य नमस्कार आदि,
सूर्य नमस्कार ही योगा है जो हम सभी के शरीर में कोई बीमारी नहीं होने देता। अतः हम सभी को नित्य प्रति प्रभु का ध्यान कर योग करना चाहिए जिससे हमारा शरीर स्वस्थ रहे।
हमारे भारत वर्ष में अनेक संतों महात्माओं ने हिमालय की कंदराओं में जाकर योग किया। किसलिए भगवान का चिन्तन करने और योग करके एकान्त में ध्यान मुद्रा में बैठकर लम्बी लम्बी उम्र प्राप्त कीं। अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखा। हमें भी स्वस्थ रहने के लिए योग करना अति आवश्यक है।
योग भगाता रोग है,तन नीरोगी होय।
नित उठ कर जो योग कर,रोग न होवे तोय।।
योगासन पर बैठकर, योगी हुए महान।
रोग रहित काया हुई,तू योगा को जान।।
उर्मिला पाण्डेय उर्मि कवयित्री मैनपुरी उत्तर प्रदेश।