महादेव उसी पर प्रसन्न होते हैं, जो अपने माता पिता की नि:स्वार्थ सेवा करते हैं : संतोष सागर महाराज

जयपुर, 1 जुलाई। श्री शिव महापुराण कथा समिति की ओर से बनीपार्क में कांतिचंद्र रोड पर आयोजित श्री शिव महापुराण कथा में षष्ठ दिवस व्यास पीठ से संतोष सागर महाराज ने समुद्र मंथन, मां गंगा का प्राकट्य, भगवान शिव के विभिन्न स्वरूप, एकादश रुद्र अवतार की कथा सुनाई।
समुद्र मंथन के कथानक में संतोष सागर महाराज ने बताया कि मंथन के दौरान निकले भयंकर विष का पान कर महादेव नीलकंठ कहलाए और सभी लोकों की विष से रक्षा की, देवताओं और राक्षसों के मंतव्य को पूरा किया।
राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने स्वर्ग से गंगा को अपनी जटाओं पर धारण कर उसकी एक धारा पृथ्वी पर अवतरित की और गंगाधर कहलाए।
शिव भक्त नाभाग की कथा सुनाते हुए संतोष सागर महाराज ने कहा कि अपने भाइयों द्वारा संपत्ति से विमुख किए जाने पर भी नाभाग ने अपने पिता की आज्ञा से अपने भाइयों से झगड़ा न कर भगवान शिव की उपासना की और उनका परम आशीर्वाद प्राप्त किया। महादेव उसी पर प्रसन्न होते हैं, जो अपने माता पिता की नि:स्वार्थ सेवा करते हैं।
एकादश रुद्र अवतार में एक रूप हनुमान जन्म की कथा सुनाते हुए संतोष सागर ने बताया कि हनुमान महान भक्त है। वे दो कार्य करते हैं, राम कथा सुनाते है और भक्तों की व्यथा समाप्त कर देते हैं। हनुमान रुद्र अवतार हैं। हनुमान की माता अंजनी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव के आशीर्वाद से उनका जन्म हुआ।
कथा में अतिथि विधायक गोपाल शर्मा, आरआरएस के रमेश अग्रवाल, हेरीटेज जयपुर नगर निगम मेयर कुसुम यादव, अजय यादव, सोमकांत शर्मा, हरि जांगिड़, रवि गोयल, अनिल सोनी, मुकेश सैनी, हवा सिंह, अजय विजय, पवन शर्मा, समिति के पदाधिकारी, कार्यकर्ता, श्रोता उपस्थित रहे।