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नगरीकरण से होने वाले नुकसान — अनामिका निधि

 

नगरीकरण (Urbanization) वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं और शहरों का तेजी से विस्तार होता है। यह एक ओर आधुनिकता, तकनीकी विकास और जीवन की बेहतर सुविधाओं का प्रतीक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर यह अनेक समस्याओं को जन्म देता है। आज भारत सहित कई विकासशील देशों में अंधाधुंध और अव्यवस्थित नगरीकरण गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। इस लेख में हम विस्तार से उन हानियों का विश्लेषण करेंगे जो इस प्रक्रिया से उत्पन्न हो रही हैं।
1. पर्यावरणीय हानि:
नगरीकरण का सबसे पहला और सबसे गहरा असर पर्यावरण पर पड़ता है।
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से जंगलों का विनाश हो रहा है, जिससे वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास समाप्त हो रहा है।
जलाशयों, झीलों और नदियों पर अतिक्रमण कर निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, जिससे जल संसाधनों पर संकट गहरा रहा है।
हरियाली की जगह कंक्रीट का जंगल फैल रहा है, जिससे स्थानीय जलवायु प्रणाली में असंतुलन उत्पन्न हो गया है।

2. वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण:
तेजी से फैलते शहरों में वाहन, कारखाने और निर्माण कार्यों के कारण वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।
गाड़ियों से निकलने वाला धुआं और धूल कण लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

नालियों और फैक्ट्रियों से निकला कचरा नदियों और अन्य जल स्रोतों को विषैला बना देता है।
लगातार बढ़ते ट्रैफिक और मशीनों की आवाजें ध्वनि प्रदूषण को जन्म देती हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

3. आधारभूत ढांचे पर दबाव:
शहरों में बढ़ती आबादी के कारण परिवहन, जल आपूर्ति, विद्युत, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं पर अत्यधिक बोझ पड़ता है।
अनेक शहरों में पीने के पानी की भारी कमी देखी जाती है।
यातायात जाम और सार्वजनिक परिवहन की असुविधाएं आम समस्या बन चुकी हैं।
कचरा प्रबंधन की समुचित व्यवस्था न होने के कारण शहरों में गंदगी और बीमारी फैलती है।

4. सामाजिक और आर्थिक विषमता:
शहरीकरण से समाज में आर्थिक असमानता और वर्ग भेद बढ़ता है।
बड़े शहरों में एक ओर आलीशान इमारतें और मॉल होते हैं, वहीं दूसरी ओर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले गरीबों के पास बुनियादी सुविधाएं भी नहीं होतीं।
अमीर-गरीब के बीच की खाई बढ़ने से सामाजिक तनाव, अपराध और अशांति भी बढ़ती है।

5. स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव:
प्रदूषित वातावरण, भीड़-भाड़ और तनावपूर्ण जीवनशैली के कारण लोग अनेक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।
सांस की बीमारियां (अस्थमा, ब्रोंकाइटिस), त्वचा रोग, मानसिक तनाव, अवसाद और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक हरियाली और स्वच्छ वातावरण की कमी के कारण जीवन की गुणवत्ता घटती जा रही है।

6. सांस्कृतिक और पारंपरिक मूल्यों का ह्रास:
शहरीकरण के चलते पारंपरिक ग्रामीण जीवनशैली, रीति-रिवाज, बोली-भाषा और सांस्कृतिक पहचान भी प्रभावित हो रही है।
लोग अपने मूल स्थान, संस्कार और समुदाय से कटते जा रहे हैं।
पारिवारिक और सामाजिक ताने-बाने में भी बदलाव आ रहा है, जिससे सामाजिक एकता कमजोर पड़ रही है।

समाधान के सुझाव
नगरीकरण की इन समस्याओं का समाधान पूरी तरह से रुकावट नहीं है, बल्कि समुचित और संतुलित नगरीकरण ही इसका उपाय है।
शहरों का योजनाबद्ध विकास किया जाए।
हरित क्षेत्र, जल निकाय और वन क्षेत्रों की रक्षा की जाए।
आधारभूत संरचना जैसे सड़क, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जाए।
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और सुविधाओं का विकास कर पलायन को रोका जाए।
‘स्मार्ट सिटी’ की अवधारणा को केवल तकनीकी दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अपनाया जाए।

निष्कर्ष:
नगरीकरण आधुनिकता की पहचान है, परंतु यदि यह अनियंत्रित और असंतुलित हो तो यह विकास की जगह विनाश का कारण बन सकता है। हमें ऐसी योजनाओं और नीतियों की आवश्यकता है जो शहरीकरण को सतत (Sustainable), पर्यावरण हितैषी और समावेशी बना सकें। तभी हम एक स्वस्थ, सुंदर और समृद्ध भारत की कल्पना को साकार कर सकेंगे।

अनामिका निधि

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