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रक्षाबंधन — उर्मिला पाण्डेय उर्मि कवयित्री मैनपुरी उत्तर प्रदेश

सनातन धर्म सभी धर्मों से पुराना है सनातन धर्म में प्रत्येक महीने में कोई न कोई त्योहार होते हैं
केवल पौष मास को छोड़कर भारत बर्ष में तीन त्योहार प्रमुख माने जाते हैं। रक्षाबंधन,विजय दशहरा,दीपावली और होली।रक्षा बंधन बहनों का मुख्य त्योहार है इस त्योहार पर बहनें अपने भाई के घर पीहर जातीं हैं और भाई की रक्षा के लिए कामना करतीं हैं।
भाई भी उन्हें कुछ ना कुछ भेंट स्वरूप दान दक्षिणा देते हैं कितना अच्छा लगता है भाई बहन का निश्वार्थ प्रेम।सावन के महीने में ऐसा विचार माना जाता है कि बेटी यदि सावन के महीने में अपने मायके जाती है तो वह रक्षाबंधन करके ही ससुराल वापस आएगी पहले नहीं।
बहुत पहले की बात है कि एक चंदना नाम की लड़की थी उसे उसकी भाभी ने सावन के महीने में ससुराल भेज दिया था वह लौटकर मायके नहीं आई ससुराल वालों ने उसे मार दिया था।वही प्रथा अभी भी चली आ रही है।
कबसे शुरू हुआ रक्षा बंधन कोई कोई व्यक्ति तो कहते हैं कि कर्मावती ने हुमायूं के राखी बांधी थी तभी से राखी बांधने की प्रथा चली है।
रक्षा बन्धन तो पहले से ही मनाई जाती है इसी दिन हमारे संस्कृत ग्रंथों की स्थापना भी हुई इसलिए इसे संस्कृत दिवस भी कहते हैं।
इस दिन हवन आदि भी किया जाता है।
जब भगवान विष्णु ने वामन का रूप बना कर राजा बलि को छला था और उसे पाताल लोक का राजा बना दिया। बलि से भगवान ने कहा कोई वरदान मांग लो बलि ने कहा भगवान हमें कोई मार न डाले अपरिचित जगह है इसलिए आप मेरे पहरेदार बनकर प्रत्येक दरवाजे पर मेरी रक्षा करो।
फिर क्या था भगवान बलि के साथ पाताल लोक में चले गये। बहुत समय व्यतीत हो जाने पर एक दिन नारद ऋषि घूमते घूमते बैकुंठ में लक्ष्मी जी के पास गये प्रणाम किया और बोले माता बिष्णु भगवान का पता है कहां हैं लक्ष्मी जी ने कहा बहुत समय से नहीं आए।
नारद जी बोले आएंगे कैसे राजा बलि ने उनको अपना नौकर बना कर रख लिया है। माता आप ही छुड़ा सकती हो।आप एक साधारण स्त्री बनकर बलि की बहन बनकर राखी लेकर बलि के घर जाओ सावन की पूर्णिमा पर राखी बांध कर त्रिवाचा भराकर बलि से उपहार में दक्षिणा पहरेदार को मांग लेना बलि अपनी बात से नहीं हटेगा।
लक्ष्मी जी नारद के अनुसार बलि के यहां गयीं राखी बांध कर भगवान को दक्षिणा में मांगकर बंधन से मुक्त किया।
जब लक्ष्मी जी ने पहरेदार के रूप में भगवान को मांगा तो बलि समझ गया कि यह लक्ष्मी जी हैं। बलि ने कहा हे माता हमारे ऊपर आपने महान कृपा की जो हमें दर्शन दिए।अब आप प्रत्येक वर्ष हमारे यहां रक्षा-बंधन पर आया करना यही में वरदान मांगता हूं। तभी से प्रत्येक वर्ष रक्षा-बंधन का त्योहार मनाया जाता है।
सावन के महीने में रक्षाबंधन पर बहन को पीहर जरूर जाना चाहिए।
उर्मिला पाण्डेय उर्मि कवयित्री मैनपुरी उत्तर प्रदेश

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