साउथ मूवी आर आर आर — पल्लवी राजू चौहान

डीवीवी इंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी, ‘रौद्रम रणम रुधिरम’ अर्थात आर आर आर पांच सौ करोड़ में बनी फिल्म के निर्देशक एस एस राजामौली की फिल्म हृदय को छू जानेवाली फिल्म है। इस फिल्म के मुख्य कलाकार जूनियर एन टी रामाराव और रामचरण के अलावा अजय देवगन, आलिया भट्ट, श्रिया सरन, समुथिरकानी इत्यादि है। ऐसे तो यह पूरी तरह काल्पनिक कहानी है, इसका प्रस्तुतीकरण भी काल्पनिक ही है, लेकिन दो मुख्य भूमिका है, जिसमें वास्तविक जीवन के दो क्रांतिकारियों अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम के असली किरदार को जोड़ा गया है। जिन्होंने ब्रिटिश राज और हैदराबाद के निजाम के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इस फिल्म के किरदार में मुख्य भूमिका निभानेवाले साउथ के अभिनेता जूनियर एन टी आर और रामचरण के किरदार दिल को छू जानेवाली है।
उत्तर से छिड़ी स्वतंत्रता संग्राम की जंग दक्षिण में रौद्र रूप ले चुकी थी। इसी जंग से जुड़ी एक छोटी सी बच्ची को आधार बनाकर बनाई गई फिल्म उस वक्त के ब्रिटिश साम्राज्य के द्वारा प्रताड़ित गरीब आदिवासी परिवार की कहानी है। इस फिल्म की शुरुआत एक छोटी सी बच्ची से हुई है, जो आदिवासी गरीब परिवार की है। वह कला से परिपूर्ण बहुत ही कुशल लड़की थी। वह फिरंगी महिला को गाना गुनगुनाते हुए बड़े प्यार से मेहंदी लगा रही थी। वह फिरंगी महिला उस बच्ची की कला से मुग्ध हो जाती है और उसे हमेशा के लिए अपने साथ ले जाती है। उस लड़की की मां अपनी बच्ची को उसके बंधन से छुड़ाने के लिए उनकी गाड़ी के पीछे भागती है, लेकिन वह बच्ची को बचा नहीं पाती है। उनके फिरंगी सिपाही बच्ची की मां को जोर से सिर पर मारते हैं, उसकी मां बेहोश होकर गिर जाती है। उस वक्त भारतीयों को गुलाम बनाकर रखा जाता था। उनके लिए बच्चें हो, जवान हो, या बूढ़े। उनकी नजर में एक बार कोई चढ़ गया, तो वह फिरंगियों का गुलाम बनकर रह जाता था। उस बच्ची को बचाने के लिए जूनियर एन टी आर की भूमिका जबरदस्तहै। अभिनेता रामचरण फिरंगियों के बीच में रहकर अपनी मातृ भूमि के लिए संघर्ष करता है। उनकी भूमिका को रहस्यमय तरीके से प्रस्तुत किया गया है। जिसतरह से इस कहानी को प्रस्तुत किया गया है, यह अपने आप में मिसाल है। भारत की स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देनेवाले ऐसे कई किरदार है, जिनका वर्णन पुस्तकों में नहीं मिलता है। उस वक्त जिसप्रकार युवाओं पर अत्याचार होता था, उसी का प्रस्तुतिकरण इस फिल्म में किया गया है।
लेखिका : पल्लवी राजू चौहान
लेखिका: पल्लवी राजू चौहान
कांदिवली, मुंबई