तिनके का सहारा, — अलका गर्ग, गुरुग्राम

निधि की शादी संयुक्त परिवार में हुई इस कारण घर के काम भी बढ़ गए, पर निधि एक मल्टी नेशनल कंपनी में ऊंची पोस्ट पर भी थी इस कारण उसे आए दिन कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
अब उसके सामने दो ही विकल्प थे कि या तो वह परिवार या नौकरी किसी एक को चुने या नौकरी छोड़ दे ताकि वह परिवार के प्रति अपना कर्तव्य निभा सके।
निधि घर और नौकरी के दो पाटों के बीच में पिस रही थी।उसे लगता वह अपना पूरा समय नहीं दे कर दोनों के साथ अन्याय कर रही है।उचित देखभाल के अभाव में ख़ास कर बुजुर्ग सास ससुर और चार साल की बेटी के सामने स्वयं को अपराधी महसूस करती थी।बाक़ी सभी तो फिर भी सक्षम थे।पर ये तीनों तो पूरी तरह से निधि पर निर्भर थे।कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था लग रहा था इतनी अच्छी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।
एक दिन अपनी माँ से मालूम पड़ा कि दामिनी मौसी (माँ की रिश्ते में बहन)के पति गुज़र गए हैं।घर ,खेत में उनका हिस्सा न देना पड़े इसलिए उनके कुनबे वाले उसको बहुत परेशान कर रहे हैं ताकि वे अपने बेटे को ले कर घर छोड़ कर चली जाये।उनका बेटा अभी कॉलेज में है ।बेचारी मौसी घर छोड़ कर कहाँ जाएगी,जीवन यापन कैसे करेगी।
निधि के दिमाग़ में ख़याल आया कि क्यों न वह मौसी को यहाँ अपने पास रख ले।उसकी और दामिनी मौसी दोनों की समस्या हल हो जाएगी।पति से बात करके उसने घर के पीछे पड़ी ख़ाली जगह में एक सुंदर सा कमरा,रसोई और गुसलखाना बनवा दिया और मौसी को बेटे के साथ रहने के लिए बुला लिया।मौसी को घर मिल गया और निधि को घर की देखभाल के लिए मौसी।
दामिनी मौसी के आने के बाद निधि की सारी परेशानी दूर हो गई। वे घर में सभी का बहुत ख़याल रखतीं।काम और खाना बनाने के लिए निधि के पास पहले से ही काम वाली थी पर कोई भी काम सही समय पर और सही तरीक़े से नहीं होता था।इसलिए ज़रूरत थी तो एक निरीक्षक की।मौसी की देखरेख में सभी काम सुचारू रूप से होने लगे।मौसी का बेटा भी ख़ाली वक्त में घर बाज़ार,स्कूल के छोटे मोटे काम कर देता।बच्चों को पढ़ा देता।निधि और उसके पति का दबदबा मौसी के ससुराल में भी काम आया।उन लोगों ने भी जब माँ बेटे को मज़बूत संबल में देखा तो ताड़ना प्रताड़ना बंद कर दी और उन्हें उनका हिस्सा देने को तैयार हो गये।
सास-ससुर,ननद,देवर ,जेठ,जेठानी,बच्चे
पति सभी घर की सुधरी हुई कार्य व्यवस्था से बहुत खुश थे और अब निधि को भी नौकरी छोड़ने की ज़रूरत नहीं थी।
निधि और दामिनी मौसी दोनों ही एक दूसरे का मजबूत सहारा बन चुके थे।दोनों डूबते तिनकों को अपना अपना सहारा मिल गया था।
अलका गर्ग, गुरुग्राम