वो जो परवाह करे – पवन मल्होत्रा एडवोकेट की कलम से

अकेले ही सही पर दिल चाहता है कोई हमारी भी परवाह करे !
अंधेरा ऐसा देखा है जो अकेले सहने के लिए बहुत ज्यादा है !!
सुनहरी उजाला बन आये जीवन में जो, न कभी दुनिया से डरे !
अकेले ही सही पर दिल चाहता है कोई हमारी भी परवाह करे !!
किसी और से या कोई और नया रिश्ता हम पैदा ही क्यूँ करें !
जिसने साथ नहीं देना, उससे निभाने की कोशिश हम क्यूँ करें !!
जिन्होंने बिछड़ना ही है, उनसे बेबात हम झगड़ा भी क्यूँ करें !
अकेले ही सही पर दिल चाहता है कोई हमारी भी परवाह करे !!
रस्म-ए-दूरी हो रही है खामोशी से तो हम भी हंगामा क्यूँ करें !
हम दुश्मन नहीं हैं, यही काफी है, वफादारी का दावा क्यूँ करें !!
त्याग, प्रेम, वफा, साथ, अब इन लफ्ज़ों का पीछा हम क्यूँ करें !
अकेले ही सही पर दिल चाहता है कोई हमारी भी परवाह करे !!
जब वादे सभी ने किए तो उनको सिर्फ हम ही पूरा क्यूँ करें !
नहीं दुनिया को हमारी परवाह तो हम भी परवाह क्यूँ करे !!
हम किसी की तमन्ना नहीं तो कोई हमारी तमन्ना क्यूँ करे !
अकेले ही सही पर दिल चाहता है कोई हमारी भी परवाह करे !!
पवन मल्होत्रा एडवोकेट