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ऋतु पाण्डेय की मधुर वाणी

ऋतु पाण्डेय की मधुर वाणी

जयपुर की धरती से उठी एक आवाज़,
ऋतु पाण्डेय ने पाया भजनों में साज़।
बाबा श्याम के चरणों में गाती हैं गीत,
राणी सती के प्रेम से, मनाती हैं प्रीत।

मधुर सुरों से श्रोताओं को करती मंत्रमुग्ध,
हर शब्द में है श्रद्धा, भक्ति का अमृतबिंदु।
सुरों की माला में, प्रेम की महक है खास,
भजनों के संग उनका दिल भी हुआ पास।

बाबा श्याम और राणी सती को रिझाने का काम,
हर भजन से झलके, उनका सच्चा प्रेमधाम।
श्रोता डूब जाते, जब स्वर गूँजता है मन,
ऋतु की भक्ति में है श्रद्धा का अनमोल धन।

बाँटती हैं प्रेम, भक्ति और आस्था का नूर,
ऋतु पाण्डेय की वाणी है मानो अमृत का दौर।

मुकेश विजयवर्गीय की कलम से

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