मम्मीयां: एक अद्भुत कहानी / अनामिका दुबे निधि की कलम से
मम्मीयां: एक अद्भुत कहानी / अनामिका दुबे निधि की कलम से
ये मम्मीयां भी बड़ी अजीब होती हैं,
बात-बात पर सख्त, फिर भी दिल से जुड़ी होती हैं।
कभी प्यार से गले लगाती, कभी होती हैं सख्त,
उनकी हर बात में छिपा है, एक अनमोल सच।
सुबह की चाय से लेकर, रात के खाने तक,
हर पल में उनका प्यार, बिना कहे दिखता है झलक।
कभी टोकती हैं हमें, कभी बख्शती हैं लाड़,
उनके चेहरे की मुस्कान में छुपा है, ज़िंदगी का आबाद।
हर बात में ज्ञान छिपा, उनके अनुभवों का समंदर,
जिंदगी की सच्चाइयों को, वो बड़ी कुशलता से समझें।
“बाहर का खाना मत खा,” ये है उनका अडिग नारा,
फिर भी जब हमारी ख़ुशी की बात आए, वो सबसे आगे सारा।
हर छोटी-छोटी बात पर, वो होती हैं चिंतित,
फिर भी जब हम मुस्कुराते हैं, उनका दिल होता है प्रफुल्लित।
तबियत ठीक नहीं हो, तो रातों को जागेंगी,
अपने बच्चे की ख़ुशी के लिए, वो हर दर्द सहेंगी।
उनकी अजीब बातें, कभी हंसाती हैं, कभी रुलाती हैं,
फिर भी जब ज़िंदगी कठिन होती है, वो हर दम साथ खड़ी रहती हैं।
“तू जल्दी कर, समय हो गया,” ये उनकी रोज़ की रट,
पर जब बात आती है प्यार की, वो बन जाती हैं सबसे खास।
ये मम्मीयां भी बड़ी अजीब होती हैं,
अपने बच्चों की ख़ुशी के लिए, हर मुश्किल सहती हैं।
उनकी बातें, उनका प्यार, सब कुछ है बेमिसाल,
एक मम्मी का दिल होता है, सागर से भी गहरा, एक अनमोल कमाल।
हर आंचल की छांव में, छुपा है एक संसार,
उनके बिना अधूरी है, हर ख़ुशियों की सरकार।
तो चलो उनके इस प्यार को, कभी न भूलें हम,
ये मम्मीयां हैं बड़ी अजीब, पर हैं जीवन का अनमोल रुप ।
अनामिका “निधि”