हिन्दुस्तान की पहचान // सुप्रसिद्ध कवियित्री व लेखिका ज्योति सिंह की कलम से

क्या कभी आपने सोचा या समझा है की भारतीय संस्कृति की शुरुआत किस आधार शिला को जोड़ कर एक महान संस्कृति के नीव में एक –एक त्याग की कर्म –कार्य को निष्ठा के साथ अपने जीवन के आधार की घोर तपस्या व त्याग की नींव जोड़कर राजा भरत ने राजतन्त्र से प्रजातंत्र के रूप में प्रदर्शित किया था |
उसी परिवार के भागीरथ जी ने अपने त्याग – तपस्या से माँ गंगे को प्रसन्न कर भारतीय संस्कृति व हिन्दू धर्म व मानव कल्याण हेतू “ माँ गंगे ” को धरती माता के आंचल में लाकर पर्यावरण का संतुलन सुरक्षित किया था , उसी की परम्परा में सत्य व त्याग की भावना राजा हरीशचंद्र जी ने इसी काशी में दान – धर्म का एक आदर्श स्थापित कर समाज को वह आईना दिखलाया कि एक राजा तब राजा होता है जब वह प्रजा के सुख – दुःख के दर्द के निवारण हेतू सब कुछ त्याग कर एक आदर्श की भावना प्रदर्शित कर सके |
परन्तु आज हम लोकतंत्र व प्रजातंत्र की जड़ो में वह पानी सींच रहे है जो कि राम – राज्य की उस परिकल्पना से कोसों दूर है जिसमे जो अधिकार एक राजा को होता था वही अधिकार एक प्रजा
(नागरिक ) को मिलता था , वह राजतन्त्र था आज प्रजातंत्र यानि लोकतंत्र है किन्तु इस लोकतंत्र में आपने किसी को आदर्श पुरुष के रूप में पेश कर कह दिया , की क्या यही “राम राज्य ” की परिकल्पना महात्मा गाँधी या विनोबा भावे या स्वामी विवेकानंद जी ने कही है तो आज के राजनितज्ञ उसे परन्तु धर्म – सम्प्रदाय का नाम देकर अपनी – अपनी गन्दी राजनीती की पृष्टभूमि तैयार करना शुरूकर समाज में घृणा फैलाने की आग लगाने की शुरुआत की नींव खड़ी कर देगे , जबकि इनकी राजनीति का पटल देखा जाये तो इनके समाजवाद में परिवारवाद की हर मंजिल मिलेगी इन्हें केवल चिंता है| उस समाज का जो ये कहे आप ( जनता जनार्दन ) उनके आदेशों का पालन करे पर क्यों हम पालन करें क्या वो सुप्रीमो सरकार या बादशाह है ,
आप उनकी प्रजा यानि लोकतंत्र में कार्य करने वाला कार्यकर्ता जो वरिष्ठ जन कहे वो ही करो नही तो उनके पार्टी और समाज से निष्कासन मिलेगा , क्योंकि यही आज का लोकतंत्र है |
हम आपको रोजगार के साधन उपलब्ध करायेगे , आपको भर पेट भोजन दिलायेगे , आपके परिवार में आत्मनिर्भरता लायेंगे, हम एक पैसा उद्योग लगायेगे की हमारा समाज उच्च तकनीकी कला –कौशल में निपूर्ण हो हमारे जैसे उच्च उद्योगों की स्थापना की नींव रख सकेगा ,किन्तु उद्योगों की स्थापना हेतू आपको हमारा साथ देना होगा उद्योग की स्थापना हेतू जमीन , कच्चा माल ,परिवहन ,कठिनपरिश्रम की भागीदारी में आपको सम्पूर्ण त्याग दिखाना होगा , तब जाकर आप अपने खुशहाल जीवन का दर्शन कर सकेगे , आपके त्याग से हम –हमारा परिवार और “ ए ग्रेड ” के अधिकारी व उद्योगपति हमारे देश का नाम विश्व के प्रथम श्रेणी की तरफ अग्रसर होगा और आप – आपके परिवार की हम भरण – पोषण का सुख – सुलभ कराने की जिम्मेदारी निभाने से नही चुकेंगे |
इसी लोकतंत्र में कुछ ऐसे आदर्शवादी लोग भी है जो कथनी – करनी को रामराज्य की कड़ी बनाकर आगे चलना सिखा ही नही रहे है वे अपने पूर्वजो की संस्कृति को अपनाकर कदम से कदम मिलाकर एक साथ सभी को मिलजुल कर देश के विकास के साथ – साथ अपना व अपने सभी देश वाशियों को एक ही परिवार का सदस्य बनाकर जात- धर्म सम्प्रदाय से उपर उठ कर हम सभी भारत की संताने (भरत के आदर्श ) को फिर से जीवित कर सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र से सिख लेकर भागीरथी प्रयास करके फिर एक बार कोई हमारी गंगा मैया को मैली है,
ऐसा न कह सके हम अपनी गंगे माँ के आंचल को दूध जैसा श्वेत –निर्मल भारत निर्माण प्रयास परिपूर्ण कर राम राज्य की स्थापना के साथ जय जवान – जय किसान –जय विज्ञान मजदूरों के विकास का जय –जयकारा हो ना यहाँ कोई जात – बंधन न कोई सम्प्रदायिकता हो सबसे बड़ी हमारी मानवता हो यही बने हिन्दुस्तान की पहचान हो |
राम –रहीमन कहत कबीरा , जात –पात से होत है पीरा |
धैर्य – गंभीरता धरो मानव , अपने देश में न आने दो पीरा ||
ज्योति सिंह
वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
अस्थाई पता- (लेह-लद्दाख)