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बुजुर्गों की सीख // लेखक पालजीभाई राठौड़

 

जीवन में बुजुर्गों का साथ महत्वपूर्ण होता है। बुजुर्गों के साथ रहने से उसके अनुभव से हमें भी सीख मिलती है।बुजुर्गों ने दी हुई सिख जीवन में बहुत काम आती है।
एक बार नव युवानों को लगा शादी में बुजुर्गों की क्या जरूरत है। हम जाकर शादी संपन्न कर लेंगे। सभी व्यवहार कर लेंगे।बुजुर्गों को लगा युवा लोगों को पता नहीं है।ये अपने जुवानी की जोश में बोल रहा है। वहां जाकर फंस जायेंगे।
शादी संपन्न हो जाने के बाद समधी ने कहां हमारी दीकरी को हम तभी विदा करेंगे जब आप ये तालाब घी से भर देंगे। सब बाराती सच में पड गए। यह तालाब घी से कैसे भरा जाए?
इस वक्त अपने गांव का ही एक बुजुर्ग आया और कहा; ‘युवानों क्यों सोच में पड़ गए हो’।चिंता की कोई बात तो नहीं।सभी शर्मिंदा हो गए। बुजुर्गों को साथ न लाने की गलती का एहसास हो रहा था‌।उसने कहां यह संमधि तालाब घी से भर ने को कह रहा है।
बुजुर्ग ने बड़ी आसानी से कह दिया; ‘इसमें क्या भर देंगे’! जाओं उसे कह दो पहले तालाब खाली तो कर दो।
युवानों ने सोचा ये विचार हमारी समझ में क्यों नहीं आया!
बुजुर्ग अनुभवी होते हैं मुश्किलों में हल निकालना उसे आता है।उस के साथ बैठने उठने से हमें उसके अनुभव से सिख मिलती है। बुजुर्ग हमारे मार्गदर्शक है जो समय पर नई नई सीख देते रहते हैं।बुजुर्गों का मान सम्मान करना उनकी कही बात मानना यह हमारा कर्तव्य होता है। बुजुर्ग एक वृक्ष समान होता है।जो हमें छाया के साथ साथ फल भी देते हैं। यकीनन बुजुर्ग तो बुजुर्ग होते हैं।

पालजीभाई राठोड़ ‘प्रेम’ सुरेंद्रनगर गुजरात

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