आलेख–ये कैसा एंज्वॉय // लेखिका सपना बबेले

एंज्वॉय की आड़ में ,फोन के माध्यम से कुछ भी दिखाया जा रहा है कोई दायरा नहीं है और पूरा परिवार मौन रहता है ये समाज में जहर का काम कर रहा है।
और अगर कोई कुछ कहता है तो पूरा एंज्वॉय गिरोह उस पर , कमेंट की बौछार करता है।
समझ में नहीं आता कि हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है, हमारी सभ्यता का स्वरूप ही बदल गया है।
बहन बेटियां भी रील बनाकर,न जाने कौन सी रीति-रिवाज को प्रस्तुत कर रही हैं।बेढंगे पहनावे और बेढंगी आधुनिकता
को स्वीकार कर एंज्वॉय कर रहीं हैं।
ये कैसा चलन चल रहा है।
हमें अर्थात माता पिता को ध्यान देना होगा कि मेरी बेटी या बेटा , क्या कर रहे हैं, कहां जा रहे हैं और कैसी संगत में है।
सबसे बड़ा बाजार एंड्रॉइड फोन है,उस पर किसकी दुकान से क्या ले रहे हैं।
इंटरनेट पर अनचाहे विडियो देखकर
उनकी मानसिकता पर गहरा असर हो रहा है। शिक्षा के दौर में समय से पहले बहुत कुछ अनावश्यक ज्ञान अर्जित कर रहें हैं ,यह एक धीमा जहर है ,जिसकी गिरफ्त में आजकल बहुतायत जन आ चुके हैं।रील रील बस रील बनाकर सब दिखावा कर रहें हैं।पहले रियल थे अब रील बनकर रह गए,रियलटी को फील करने का समय ही नहीं है।
चंचल मन के वश में होकर कुछ भी कर रहे हैं। मैं ये नहीं कहती कि सब ग़लत है लेकिन ज्यादातर लोग सही दिशा में नहीं जा रहें हैं ये चिंतन का विषय है।
हमारे देश में विकास के साथ साथ नैतिक मूल्यों का विनाश भी हो रहा है।
विचारणीय।
#सपना_बबेले