आंठवा वचन // लेखिका संगीता झा

निहारिका अभी शादी के कुछ ही दिनों बाद निहाल के साथ अभी कुछ ही दिनों पहले बंगलौर आई थी । उसे दोस्त बनाना सबसे घुलना मिलना बहुत पसंद था। पर नया शहर होने के कारण वह अभी इतना बाहर नहीं निकलती थी।
एक दिन वह बालकनी में खड़ी थी कि सामने एक 70 वर्षीय महिला दिखीं। वे बेहद खूबसूरत और सजी धजी और एकदम फिट, उन्हें देख कर कोई नहीं कह सकता था कि उनकी इतनी उम्र होगी ।निहारिका को उनसे बात करने की उत्सुकता हुई, पर इतने में वह अंदर चली गईं। कुछ दिनों बाद उनके घर से काफी हँसने की आवाजें आ रही थी,शायद जैसे मेहमान आए हों। एक दिन निहारिका जल्दी से अपना सारा काम निपटा कर आंटी से मिलने पहुँच गई। उसने बैल बजाई तो आंटी ने दरवाजा खोला, वह बोली कहीं मैंने आपको डिस्टर्ब तो नहीं किया। वह बोली कैसी बात कर रही हो बेटा बैठो मैं तुम्हारे लिए कुछ ले कर आती हूं, ऐसा कह आंटी निहारिका के लिए चाय और नाश्ता ले आई । इतने में अंकल भी कमरे से बाहर आ गए, अंकल भी बहुत ही एक्टिव और फिट लग रहे थे। बातों बातों में उन्होंने बताया कि उनके रिटायरमेंट को 13 साल हो गए, पर वह कभी बैठते नहीं हमेशा ही आंटी की काम में मदद करते हैं । उनकी बातों से पता चला कि उनके बेटे बहु यहीं पास में ही रहते हैं और हर वीकेंड पर मिलने आते हैं। दोनों के काम काजी हैं, इसलिए वे दोनो अलग से यहाँ अपने हिसाब से रहते हैं।
तभी अंकल बोल पड़े तुम्हारी आंटी खूबसूरत हैं ना? मैने कहा, जी सच में आंटी बहुत सुंदर हैं, इन्हें देख कर लगता ही नहीं कि इतनी उम्र होगी। जिस तरह से यह सजती संवरती हैं, कोई नहीं कह सकता कि ये इतने बड़े बच्चों की दादी हैं। सच में आप दोनो का आपसी प्रेम मिसाल है। तभी आंटी बोली हमारी बहुत कम उम्र में शादी हो गई थी, पहले तो हम बहुत लड़ते थे बाद में ये लड़ाई प्यार में बदल गई।
फिर एक बार शालगिराह के दिन तुम्हारे अंकल ने तोहफ़े में मुझसे *आठवां वचन माँगा। मैं हैरान थी कि *आठवां वचन! तभी यह बोले मैं चाहता हूं तुम हमेशा इसी तरह सजती संवरती रहो और खूबसूरत दिखो, वचन दो तुम उम्र को अपनी मजबूरी नहीं बनाओगी और हमेशा ऐसे ही सज संवर के रहोगी । तुम्हें मैं हमेशा इसी रूप में देखना चाहता हूं। यह सब सुनकर निहारिका की आंखों में आंसू आ गए। वह सोचने लगी जीवनसाथी अगर प्रेम करने वाला मिल जाए तो शायद उम्र भी थम जाती है। क्योंकि आज तक वह सिर्फ इस उम्र की औरतों से यही सुनती आई थी ,अब उम्र हो गई क्या सजना संवरना। यह सब भी कम उम्र में ही सोभा देता है।
पर इन्हें देख समझ आया की जीवन का हर मोड़ पे और हर उम्र में एक स्त्री को खूबसूरत दिखने में कोई बुराई नहीं।
संगीता झा “संगीत” (शिक्षिका, लेखिका, नई दिल्ली)