रील्स और सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव // रामसेवक गुप्ता

रील्स–वाकई आज की आधुनिकता भरा माहौल, बिंदास जिंदगी जीने पर आमादा है, उसे न कोई शर्मोहया और न संस्कार की परवाह है।बस अपने शौक और मस्ती को जीवंत बनाए हर हाल में रखना है,चाहे कोई जोखिम लेना पड़े, कोई भयभीत नहीं होता है।।
आजकल गाहे-बगाहे पिकनिक स्पॉट या सड़क पर चलते वाहनों या रेलगाड़ी अथवा नदियों, पहाड़ों पर सरेआम, क्या बच्चे क्या बूढ़े और विशेषकर महिलाएं ऐसे रील्स बनाकर फेसबुक, इंस्ट्राग्राम पर अपलोड करतीं हैं,उनका उद्देश्य सिर्फ,वायरल और फेमस होना है, इससे कोई शिक्षा नहीं मिलने वाली है,चाहे रील्स बनाते समय अनहोनी या दुर्घटना भले घटित हो जाए,इनको कोई फर्क नहीं पड़ता है, फूहड़ता और बेशर्मी को चरितार्थ करती है, ऐसी मानसिकता।।
सोशल मीडिया–दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर अश्लीलता, नग्नता को परोसा जा रहा है, हर कोई मशहूर होना चाहता है, संस्कार विहीन ऐसे नर और नारी हैं ,जो पैसे और शौहरत के लिए गंदी-गंदी पोस्ट और वीडियो बनाकर पोस्ट किए जा रहे हैं।। मात-पिता और बहनें तथा छोटे बच्चे भी देखते हैं,जिसका दुष्प्रभाव हमारे समाज में अपराध के रुप में घटित होता है।
जो देखते हैं वही उनका चरित्र दागदार दिखाई देता है।
सरकार को फौरी तौर पर नियंत्रण लगाने की महती आवश्यकता है,और माता-पिता को भी अपने बच्चों पर नजर गड़ाए रहना चाहिए, कहीं वह चोरी छिपे अश्लील वीडियो और गंदगी युक्त पोस्ट न पढ़ें।। जिससे विशेषकर युवाओं में जाग्रति लाना लाजिमी है,अच्छे आचरण,और संस्कारवान व्यक्ति समाज और देश का बेहतर भला कर सकते हैं।और परिवार का नाम रोशन करते हैं।।
निवेदन–अतः सभी युवाओं, महिलाओं और पुरुषों से करबद्ध निवेदन है कि आज से ही रील्स न बनाएं और न फूहड़ता भरे वीडियो देखें,तथा सोशल मीडिया पर ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक पोस्ट व वीडियो ही देखें जिससे आपका और देश का नाम
रोशन हो।।
रामसेवक गुप्ता