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गोविंद देवजी मंदिर में नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ संपन्न, श्रद्धालुओं ने की विश्व कल्याण की प्रार्थना

 

जयपुर। संस्कारों की अलख जगाने और पर्यावरण शुद्धि के उद्देश्य से रविवार को गोविंद देवजी मंदिर में नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया। इस महायज्ञ में चार पारियों में 300 से अधिक श्रद्धालुओं ने आहुतियां अर्पित कर विश्व कल्याण की कामना की।

भगदड़ में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए विशेष आहुतियां

दिल्ली रेलवे स्टेशन और कुंभ में हुई भगदड़ में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति हेतु यम गायत्री मंत्र से आहुतियां अर्पित की गईं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना के साथ सूर्य गायत्री मंत्र से आहुतियां प्रदान की गईं।

 

महायज्ञ का आयोजन एवं प्रमुख अतिथि

मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी की गायत्री कचोलिया, गायत्री तोमर एवं दिनेश भारद्वाज की टोली ने यज्ञ संपन्न कराया।
मंदिर श्री गोविंद देवजी के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने वेदमाता गायत्री और गुरु सत्ता के समक्ष दीप प्रज्वलित कर यज्ञ का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय व्यापारिक कल्याण बोर्ड के चेयरमैन सुनील सिंघी, सदस्य सुभाष गोयल, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन संवर्धन परिषद के चेयरमैन राहुल द्विवेदी, मंदिर श्री नृसिंह जी अग्रवाल पंचायत समिति के अध्यक्ष चेतन अग्रवाल, वरिष्ठ पत्रकार ओमवीर भार्गव सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष अनुष्ठान

यज्ञ में कई गर्भवती महिलाओं ने भी भाग लिया। उनके गर्भस्थ शिशु के सर्वांगीण विकास के लिए विशेष मंत्रों से खीर से आहुतियां दिलवाई गईं और उनका गर्भोत्सव संस्कार संपन्न हुआ।

संस्कारवान पीढ़ी गढ़ने का संदेश

यज्ञ स्थल पर “आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी” अभियान की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें बताया गया कि यदि माता चाहे तो मनचाही संतान पा सकती है। यह संस्कार गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी सहित अन्य प्रज्ञा संस्थानों में निशुल्क कराया जाता है।

पुस्तकों की प्रदर्शनी एवं यज्ञ का लाइव डेमो

इस मौके पर प्रेरणादायक पुस्तकों की स्टॉल लगाई गई, जहां लागत मूल्य पर साहित्य उपलब्ध कराया गया और गायत्री परिवार का साहित्य निशुल्क वितरित किया गया। श्रद्धालुओं को 5 मिनट में घर पर सुगम यज्ञ करने का लाइव डेमो भी दिया गया।

वैदिक परंपराओं के पुनर्जागरण का आह्वान

गायत्री कचोलिया ने बलिवैश्व यज्ञ की महत्ता बताते हुए कहा कि भगवान को भोग लगाने का वैदिक माध्यम यज्ञ है। उन्होंने प्राचीन परंपराओं को पुनः अपनाने की अपील की, जिसमें रोटी के पांच छोटे-छोटे टुकड़ों को अग्नि में समर्पित कर देवता, ऋषि, महापुरुष एवं पितरों को अर्पण करने की विधि शामिल है।

विश्व कल्याण के लिए आहुतियां

यज्ञ में गायत्री महामंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, सूर्य, रुद्र, शिव एवं नवग्रह मंत्रों के साथ आहुतियां प्रदान की गईं। जन्मदिवस और विवाह दिवस मनाने आए श्रद्धालुओं के उज्जवल भविष्य के लिए भी विशेष आहुतियां दी गईं।

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