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निषाद पार्टी के पूर्व प्रदेश सचिव धर्मात्मा निषाद ने की आत्महत्या

 

अरविंद शर्मा ब्यूरो चीफ/ नज़र इंडिया 24
महराजगंज जनपद के पनियरा से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। निषाद पार्टी के प्रदेश सचिव, धर्मात्मा निषाद,ने गले में फंदा डालकर आत्महत्या कर ली।
इस दुखद घटना से पहले उन्होंने अपने फ़ेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट लिखी, जिसमें उन्होंने अपने आत्महत्या के लिए सीधे तौर पर निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय निषाद ,और प्रवीण कुमार निषाद, ई. सरवन कुमार निषाद के साथ अपने दोस्त जयप्रकाश निषाद को जिम्मेदार ठहराया।
धर्मात्मा निषाद ने अपने अंतिम संदेश में लिखा कि उन्होंने हमेशा समाज के दबे-कुचले और शोषित लोगों की आवाज उठाई। वे हर संभव मदद के लिए आगे आते रहे, लेकिन व्यक्तिगत जीवन में आने वाली कठिनाइयों से वे टूट गए।
उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बढ़ती लोकप्रियता से पार्टी के शीर्ष नेताओं को असहजता महसूस होने लगी थी।पोस्ट में उन्होंने लिखा,मुझे फर्जी मुकदमे में फंसाया गया और जेल भेज दिया गया। मैं चाहता तो इन लोगों से बदला ले सकता था, लेकिन मैं हत्यारा नहीं बनना चाहता था।
धर्मात्मा निषाद का दावा था कि पार्टी नेतृत्व को उनकी लोकप्रियता स्वीकार नहीं थी। वे एक सशक्त समाज का निर्माण करना चाहते थे, लेकिन उन पर राजनीतिक और व्यक्तिगत हमले किए गए।धर्मात्मा निषाद की आत्महत्या की खबर से समर्थकों और स्थानीय जनता में गहरा शोक है। उनके करीबी लोगों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।इस घटना के बाद पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ की जा रही है, और फेसबुक पोस्ट की सत्यता की भी जांच हो रही है।
धर्मात्मा निषाद की आत्महत्या कई गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या वास्तव में उन्हें राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का शिकार बनाया गया? क्या उनकी मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर कानूनी कार्रवाई होगी? ये सभी प्रश्न प्रशासन और न्याय प्रणाली के समक्ष हैं।
यह घटना राजनीति में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और अंतर्कलह की एक दुखद मिसाल है, जो दर्शाती है कि सत्तासीन लोग अपने ही कार्यकर्ताओं की आवाज दबाने के लिए किस हद तक जा सकते हैं।

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