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खुशी के पल _ लता शर्मा

खुशी के पल _ लता शर्मा

खुशी के पल बड़े कीमती होते हैं खुशी छोटी बड़ी नहीं वह तो केवल खुशी होती है जो याद आने से हम वहीं खुशी उसी क्षण को जी लेते हैं।

किरण की शादी हुए बाहर साल हो गए थे काफी इलाज,फूंक झाड़ करवाकर थकने लगी थी इसका उसके मन में बहुत बूरा असर हुआ वह मानसिक रोगी सी बन गई थी।करण उसे समझा ,बहलाकर थक गया था या यूं कहिए उबने लगा था नजरअंदाज करने लगा उसकी बातों को तवज्जो देना छोड़ दिया था ऐसे में किरण और उग्र हो उठी थी कि कोरोना आ गया किरण उसके चपेट में आ हास्पिटल पहुंच गई।
जहां विभिन्न जांच के दौरान उसे पता चला वह पेट से है किरण अपने कोरोना जैसी खतरनाक बिमारी को भूल इतने सालों बाद मिलने वाले खुशी के पल में ऐसी रमी की कब उसका कोरोना खत्म हुआ पता ही नहीं चला। जिस दिन वह हास्पिटल से घर आई करण और किरण एक दुसरे के गले मिल खुब प्रसन्न हुए मिली खुशी को दोस्तों रिश्तेदारों में बांट ढ़ेरों खुशी के पल समेट लिए।

लता त्रिशा शर्मा

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