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नादान बच्चे (लघुकथा) — श्रीनिवास एन

दो बच्चे नदी में स्नान करके अपने गृह को वापस जाते समय मार्ग में कुदरत को देखकर धीरे धीरे चल रहा है। प्रकृति को देखनेवाले जनता भी ये दोनों बच्चों को देखकर मजाक कर रहे है। वे दोनों आगे चलकर मार्ग में जंगल देखते है,इस जंगल को जैसे पलायन करना है। क्योंकि जंगल के पड़ सुंदर बगीचा है। सहसा वन में एक हाथी निकाल को देखकर भय से वे दोनों वहां से दौड़ते है। मार्ग में फिरबदोनों सुंदर बगीचा को देखते है।वे दोनों बगीचा में कुदरत को देखने केलिए जाते हैं लेकिन वह लोग भी हम को देखकर मजाक कर रहे है। लोग हम को देखकर मजाक क्यों कर रहे है? अचानक एक क्षण सोचकर दोनों अपने चेहरा को देखकर हंसता है। दोनों के चेहरा कीचड़ से भरा है। फिर दोनों हंसते है,……
श्रीनिवास एन