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स्वजीवन आधारित लेख -माता पिता देव तुल्य — माया सैनी

 

जब इंसान ईमानदारी से परिश्रम करता है तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है।असफल होने पर भी धैर्य,आत्मविश्वास और स्वभाव में विनम्रता रखता है तो सफल हो जाता है तब उसके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास होता है.
मै सरल, शांत एवं सौम्य स्वभाव,सभी का सम्मान करने वाली और संस्कारी लड़की हूँ लेकिन मेरी जिंदगी की एक छोटी सी गलती ने मेरी जिंदगी को पूरी तरह बदल कर रख दिया।
मैंने मेरे परिवार और माँ पापा के खिलाफ जाकर शादी की ।तभी से मेरी जिंदगी संघर्षो और दुःखों से भरी रही हैं। हर लड़की का एक सपना होता है
कि उसका जीवन साथी हर कदम पर साथ,प्यार, मान सम्मान, सपने पूरे करे।
जीवन में कई प्राथमिकताओं को बदलने के लिए मैं निरंतर बदलाव के बीच अपने को स्थिरता दे सकूँ ऐसी जगह ढूंढ रही हूँ लेकिन घर का माहौल ज्यादा खराब हैं।

इसका असर मुझे शारीरिक, मानसिक तनाव होना लगा। मेरी एक दोस्त ने शिरोज ऐप से जोड़ा जो कि वर्ल्ड लेवल पर केवल महिलाओं के लिए ही हैं। मेरे बहुत सारे सवालों के जवाब मिले। मैंने लिखना वापस शुरू किया। मेरी शादी को 18 साल हो गए लेकिन आज भी हमारा रिश्ता अजनबियों की तरह हैं।
मेरी जिंदगी ने एक new turn लिया ।मेरी कविताओं , लेख के माध्यम से और मुझे आकृति दी से मिलवाया। इन्होंने मुझे BE community join करवाया और मेरा हर कदम पर एक गुरु, माँ, बहिन और दोस्त की तरह साथ दिया। आज मेरी खुद की एक पहचान है जो मुझे जीवन में बहुत संघर्षों के बाद मिली है।

मैं सभी से कहना चाहूँगी कि माता पिता से बढ़कर दुनिया में कोई रिश्ता नहीं होता है। जो वो आपके लिए करेंगे या सोचेंगे आपके हित में होगा।आज की युवा पीढ़ी को कहना चाहूँगी कि आप जीवन में जो भी करे माता पिता से पूछ कर करें अन्यथा आपका एक गलत निर्णय आपकी जिंदगी बदल देगा फिर पछताने के अलावा हमारे पास कुछ नहीं रहता। मेरे पास ऐसे बहुत सारे ऑनलाइन दोस्त थे जिन्होंने मुझे मेरे अपनों से ज़्यादा संभाला। मैं उन सभी को दिल से धन्यवाद करती हूं।

हालात के साथ जो बदले वो कमज़ोर होते हैं।
संघर्ष और साहस से हालात बदलना पड़ेगा।
इतनी कामयाबी हासिल करूँगी एक दिन।
तुझे माफी मांगने के लिये भी पंक्ति में खडा होना पडेगा।।

माया सैनी

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