आलेख—-सोशल मीडिया ने रिश्तों की परिभाषा ही बदल दी — मैत्रेयी त्रिपाठी

फेसबुक पेज़ ज्यों ही खोला देखा दो औरतें नाच रही है , थोड़ी देर देखने पर पता चला दोनो सौतने हैं , एक दोस्त से बात करी तो पता चला ऐसे लोगो की तो बाढ़ आई है
सोशल मीडिया पर दो पत्नियां उनके बच्चे यह तक की उनको संभालने वाली हेल्पर भी वीडियो बनाती है,और इसे फैमिली ब्लॉगिंग कहते है जिसे चाहे या अनचाहे आपको देखना पड़ता है, ये क्या खा रहे कहा जा रहे रोना धोना , कही कही तो यह पूरे परिवार का बिजनेस हो गया है,बस सब एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते अपने परिवार का छीछालेदर करते मिल जायेंगे,कही सिर पर बड़ा सा जुड़ा बांधे अपनी १० साल की बेटी के साथ …ओहो हो हो हो करते दिख जायेगा । पहले कही भी सास बहू की लड़ाई किसी घर में होती लोग दरवाजे पर कान लगा कर सुनते छत पर जाकर सुनते अब कोई जरूरत नही है सब आपस में लड़ रहे है , सोशल मीडिया पर ।लेकिन क्या ये दुर्भाग्य पूर्ण नही है , परिवार तो रह ही नहीं जायेगा फिर ये भी अब एक बिजनेस हो गया जितने लोग उतनी लड़ाई,एक को छोड़ो दूसरे से शादी करों फिर दोनो मिलकर रहो कंटेंट के नाम पर व्यभिचार करते रहो।
अब तो यही लग रहा जैसे हम डायनासोर को विलुप्त और गौरैया को संकट ग्रस्त मानकर उनका समाचार दिखाते हैं ,वैसे ही परिवार का भी हाल हो जायेगा।
ऐसे ही चलता रहा तो सब लोग नाच गा कर वीडियो बना कर,पति पत्नी तलाक लेकर, बच्चो को स्कूल न भेजकर उन्हे नचवा कर पैसे कमाते रहेंगे।
फिर कौन नौजवान सेना में भर्ती होगा कौन डॉक्टर बनेगा कौन मेहनत करना चाहेगा, सब ऐसे ही कमाना चाहेंगे
अब तो विवाह…..संस्कार कम शो ज्यादा हो गया है
अब तो शादियों में रिश्तेदार बस नाचने के लिए बुलाए जाते है , वहा भी लोग अपना मोबाइल लेकर क्या खाया गहने जेवर साड़ी दिखाने ही जाते है।
सब ठीक है ,सबका ही मन होता है हीरो हिरोइन बनने का
तो बनो ना …. भगत सिंह की तरह प्रेमचंद की तरह
बनना ही है तो लता मंगेशकर बनो, नीरजा भनोट बनो महादेवी के नक्शे कदम पर चलो, बनो नीरज चोपड़ा,
सुषमा स्वराज , इंदिरा गांधी,अरुणिमा सिंह,पी. टी ऊषा
ऊषा उत्थुप ऐसे अनगिनत नाम है बनना है तो बनो इनकी तरह । सच कह रही हूं रोज का कंटेंट जुटाने की कोई दिक्कत ही नही ।
फिर हमारी संस्कृति गौरवान्वित महसूस करेगी हमारा समाज उन्नति करेगा और जो पश्चिम ने साजिश के तहत अपनी सभ्यता का प्रसार हमारे समाज को घुन लगाने के लिए किया है । वो कामयाब नहीं हो पाएंगे
और हम आजाद हो जायेंगे मानसिक गुलामी से …धन्यवाद
मैत्रेयी त्रिपाठी
स्वरचित