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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: नारी शक्ति का उत्सव

 

लेखक: शिक्षाविद एवं अधिवक्ता दीपक शर्मा (जांगिड़)

प्रस्तावना
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष 8 मार्च को पूरे विश्व में महिलाओं के अधिकारों, उनकी उपलब्धियों और उनके संघर्षों को पहचानने के लिए मनाया जाता है। यह दिन नारी शक्ति के सम्मान और समानता की दिशा में किए गए प्रयासों को याद करने का अवसर प्रदान करता है। समाज, परिवार और राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं की भूमिका अतुलनीय है, फिर भी उन्हें अनेक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

भारतीय संस्कृति में नारी का स्थान
प्राचीन काल से ही भारत नारी प्रधान राष्ट्र रहा है। महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण को उनकी माता के नाम से यशोदानंदन और देवकीनंदन, तथा पांडवों को कुंतीपुत्र (कौन्तेय) कहा जाता था। यह भारतीय समाज में मातृशक्ति के उच्च स्थान को दर्शाता है। हमारी संस्कृति में नारी को देवी के रूप में पूजा जाता है—वह शक्ति, करुणा और सृजन की प्रतीक है। माँ, बहन, पत्नी और मित्र के रूप में नारी हर रिश्ते को संवारती है और समाज की नींव को मजबूती देती है।

नारी—सशक्त समाज की आधारशिला
समाज की कल्पना नारी के बिना अधूरी है। हर मोड़ पर वह पुरुष का मनोबल बढ़ाती है, उसका सहयोग करती है और साथ निभाती है। एक शिक्षिका के रूप में वह ज्ञान का प्रकाश फैलाती है, एक डॉक्टर के रूप में जीवन बचाती है, एक पुलिस अधिकारी के रूप में न्याय सुनिश्चित करती है और एक गृहिणी के रूप में पूरे परिवार को संभालती है।

महिलाओं के समक्ष चुनौतियाँ
आज भी महिलाएं अनेक चुनौतियों का सामना कर रही हैं—लिंग भेदभाव, घरेलू हिंसा, असमान वेतन, शिक्षा और रोजगार के अवसरों में कमी, तथा सामाजिक प्रतिबंध। ऐसे में महिला सशक्तिकरण का महत्व और भी बढ़ जाता है।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में पहल
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हमें यह संकल्प लेने का अवसर प्रदान करता है कि हम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेंगे और उनके सशक्तिकरण की दिशा में कार्य करेंगे। शिक्षा, रोजगार, सुरक्षा और समानता के अवसर प्रदान कर हम नारी को सशक्त बना सकते हैं। सरकार, समाज और परिवार—सभी को इस दिशा में मिलकर प्रयास करने होंगे।

उपसंहार
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि नारी गरिमा और समानता का संकल्प है। हमें महिलाओं के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलने और उन्हें समान अवसर प्रदान करने के लिए निरंतर कार्यरत रहना चाहिए। इस दिन हम सभी महिलाओं की उपलब्धियों को सलाम करते हैं और यह वचन लेते हैं कि हम उनके सम्मान, सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।

“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता।”
(जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवताओं का वास होता है।)

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