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होरी खेलन के मिस आजा रे — ब्रज में मची है आज धूम.

गोविंद देवजी मंदिर में होलिकोत्सव का श्रीगणेश

जयपुर। होली के पर्व के लिए सजे गोविंद देवजी मंदिर में शुक्रवार को तीन दिवसीय 51वें होलिकोत्सव का श्रीगणेश हुआ। मंदिर के सत्संग भवन में आराध्य देव गोविंद देव जी मंदिर की विशाल छवि के समक्ष दर्जनों कलाकारों ने गायन और नृत्य की जुगलबंदी से माहौल का फाल्गुनी बनाने का प्रयास किया। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने ठाकुरजी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर होलिकोत्सव का शुभारंभ करते हुए कलाकारों और वादकों का तिलक, दुपट्टा और माल्यार्पण कर सम्मान किया। दमदार और सुरीली आवाज में संजय रायजादा और मंजू शर्मा ने कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए श्रोताओं को बांधे रखा। कृष्ण और राधा के स्वरूपों के साथ अन्य कलाकारों गोपी और ग्वालों के रूप में प्रतिभा का प्रदर्शन किया। अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त राजस्थानी नृत्यांगना पद्मश्री गुलाबो सपेरा तथा उनके दल ने नृत्य प्रस्तुति देकर सबका मन जीत लिया। वरिष्ठ नृत्य गुरु अविनाश शर्मा और उनके दल के लगभग पांच दर्जन कलाकारों का होली नृत्य प्रमुख आकर्षण रहा। इससे पूर्व वरिष्ठ गायक पंडित जगदीश शर्मा ने गणेश वंदना के साथ मंगलाचरण किया। संयोजक गौरव धामानी ने बताया कि पंडित जगदीश शर्मा ने शास्त्रीय संगीत में ढूंढ़ाड़ी भाषा में होली के पारंपरिक भजनों की प्रस्तुतियां दीं उन्होंने पं. युगल किशोर युगल की रचना पाछा सें मटकी फोड़ी.. की भी प्रस्तुत दी। शहर के युवा गायक कुंजबिहारी जाजू ने होरी खेलन के मिस आजा रे… भजन की प्रस्तुति दी। जिस पर उपस्थित जन समूह में लोग नृत्य करने लग गए। वर्तिका तिवाड़ी और साथी दर्जनों कलाकारों ने ठुमरी ऐसो हठीलो छैल पर कथक नृत्य प्रस्तुत किया। अभ्यास ग्रुप ने ठुमरी तथा रसिया पर नृत्य की प्रस्तुति दी। गायन विनय शर्मा ने किया। गोपाल सिंह राठौड़, पूजा राठौड़ ने राग दरबारी में ठुमरी होरी आई री रंगीली की प्रस्तुति दी। प्रख्यात नृत्यांगना मनीषा गुलियानी की शिष्या कृष्णेषी ने कान्हा खेलो कहां ऐसी होरी पर कथक नृत्य प्रस्तुत किया। गायक रमेश मेवाल ने गायन पर साथ दिया ।

कथक नृत्यांगना स्वाति गर्ग और साथी डेढ़ दर्जन कलाकारों ने कृष्ण-बलराम और यशोदा मैया की होरी तथा ठुमरी ना मारो पिचकारी पर कथक प्रस्तुत किया। वरिष्ठ गायक गिर्राज बालोदिया ने ठुमरी मैं तो अबके होरी खेलूंगी… प्रस्तुत की। नवीन शर्मा ने जुलम कर डारयो… भजन सुनाया। कुमार नरेन्द्र ने पलकां उघाड़ो फागण आ गयो… गाया ता भक्तों ने तालियों से सत्संग भवन गूंजा दिया। माधुरी के साथ एक दर्जन से अधिक कलाकारों ने  कहां  जाओगे गिरधारी गीत पर मनोहारी नृत्य प्रस्तुत किया।
उपांग कत्थक कला केन्द्र के एक दर्जन कलाकारों ने जय कुमार जबड़ा की गाई ठुमरी देखो होरी के खिलैया… पर कथक नृत्य प्रस्तुत कर तालियां बटोरी।
कमल कांत कौशिक ने खातिर करले रसिया गीत से  माहौल को फाल्गुनी कर दिया। ईश्वर दत्त माथुर ने गोविंद फागण में तू आजे रे… होली गीत की प्रस्तुति दी। रश्मि उप्पल एवं उनके साथी कलाकारों ने ठुमरी कैसी होरी मचाई पर कथक नृत्य प्रस्तुत किया।

ठुमरी-कथक की खूब जमी जुगलबंदी

होलिकोत्सव के पहले दिन ठुमरी और कथक नृत्य की जुगलबंदी दिखी। अनेक कलाकारों ने ठाकुर जी के दरबार में ठुमरी पर कथक नृत्य किया। डॉ. कविता सक्सेना और उनकी शिष्य मण्डली ने ठुमरी ब्रज में मची है आज धूम… पर कथक नृत्य प्रस्तुति दी। राजेन्द्र राव और उनके दल के एक दर्जन कलाकारों ने चिर परिचित रचना आ तो रंग उड़ाती आई… और आज बिरज में होरी रे रसिया… गीतों पर भाव नृत्य प्रस्तुत किया गया। जोधपुर से आए बनारसीदास ने मोहन आओ तो सही गीत की प्रस्तुति दी। रेखा सैनी तथा उनके दल के लगभग डेढ़ दर्जन कलाकारों ने राधे के संग नंदलाल गीत पर भाव नृत्य प्रस्तुत किया। वरिष्ठ कथक नृत्य गुरु मंजरी महाजन तथा उनके शिष्य दल ने आज बिरज में होरी गीत पर कथक नृत्य प्रस्तुति दी। गायन मुन्नलाल भाट ने किया।

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