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संस्मरण : यादगार होली  — पालजीभाई राठौड़

 

होली एक रंगों से भरा हुआ त्यौहार है‌। होली शब्द सुनते ही मन रंगों से भर जाता है।
होली का त्योहार खुशियों,रंगों और आपसी सौहार्द का प्रतीक है। होली मेरी जिंदगी में ऐसी आई जो आज भी मेरी यादों में रंग भर जाती है।यह दिन सिर्फ त्यौहार नहीं था बल्कि भावनाओं और रिश्तों और अपनों का साथ लिए गए पलों का खूबसूरत सफर था।
उस साल होली के अगले दिन हम सब दोस्तों और परिवार वालों ने तय किया कि ये होली सिर्फ रंगों से नहीं बल्कि दिलों के रंगों से खेलेंगे। सुबह होते ही छोटें बालक,दोस्तों और परिवार वाले सब इकट्ठा हुए। गुलाल की खुश्बू हवा में धूल हुई थी। हर एक के चेहरे पर मुस्कान थी। सब शरारत के मूड में थे। बच्चें हाथ में रंग भरी पिचकारी लेकर इधर उधर दौड़ रहे थे।यह देखकर बड़ों को भी अपना बचपना याद आ गया। बचपन में खेली हुई होली की याद आ गई। होली के दिन भाभी को कैसे रंगों में रंगता था‌। मौज, मस्ती,हंसी, ठिठौली करता था।
पहले गोबर,ओईल, मिट्टी कीचड़,खराब पानी से एक दूसरे को रंगता था। खास यह था कि हमने होली के दिन सिर्फ एक दूसरे से गालों पर गुलाल लगाकर होली मनाई।
गांव के गरीब बच्चों को भी बुलाया।उसके साथ होली मनाई। गरीब बच्चों को यथा शक्ति भेंट दी गई और सब मिलकर चाय पानी नाश्ता समूह में कीया। ये देखकर सब बच्चे, परिवार वाले का खुशी का ठिकाना न रहा। ऐसे आयोजन की प्रशंसा की।हर साल ऐसे ही होली मनाएंगे ऐसा तय किया।
वह दिन मेरे लिए सिर्फ त्यौहार नहीं था बल्कि रिश्तों की गहराई से महसूस करते और खुशियों को बांटने का अनमोल मौका था। वह होली का दिन आज भी मेरी यादों में सबसे खूबसूरत रंग की तरह सजे हुए हैं।होली के दिन उसका संस्मरन हो गया।
जब अहंकार क्रोध सरल हो जाए समझो होली है। जब मन का व्यवहार सरल हो जाए समझो होली है। रंगों और गुलालों की होली भी कोई होली है? आध्यात्मिक के रंगों से यदि आत्मा का श्रृंगार हो जाए समझो होली है।

खीला फूल मैत्री का दिल में नफरत को अब दूर भगाओ,
महक उठे धरती और अंबर ऐसा एक बाग बनाओ।
अबीर गुलाल उड़ा उपवन में होली का त्योहार मनाओं‌।

अंधविश्वास भेदभाव पाखंड का दहन करें, वेर वैमनस्य द्वेष भाव नफरतें का होली में दहन करें।

इस त्यौहार में सत्य अच्छाई के रंग भरे,
दिलों में मानवता चेहरे पे मुस्कान भरे।

होली में आज देखो बुराई का दहन करें, ‘प्रेम’ जीवन अनमोल है कुछ बातें सहन करें।

पालजीभाई राठोड़ ‘प्रेम’ सुरेंद्रनगर गुजरात

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