Uncategorized

मेरे विचार (लेख) — अमृत बिसारिया

 

दुःख और सुख जीवन के दो पहलू हैं, जो हर व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव से संबंधित होते हैं।
यह बिल्कुल सच्च कहा गया कि यदि आप खुशियां बांटते है, औरों के साथ मिल करके खुशियाँ दो गुना बढ़ जाती है, उसी तरह से यदि आप अपने दुख को किसी से बांटते है तो सहानुभूति के साथ दुख का एहसास काफी कम हो जाता है। यह दोनों बातें सच होती है परन्तु शतप्रतिशत सत्य तो कुछ भी नहीं हो सकता।

स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था की सुख बांटने से दोगुना हो जाता है आर दुख बांटने से आधा रह जाता है।
औरों की भावनाओं, औरों के विचारों और उनके साथ आपका संबंध कैसा है बीच में ये सारी बातें भी मायने रखती। ये बातें स्वयं आप से संबंधित होती है तो ये जरूरी नहीं की इन बातों का दूसरों पे भी वही असर जो आपके लिए मायने रखती हो।
खुशियां बांटने से लोग आप की खुशी में कितने शामिल होते हैं कभी कभी यह समझ में नहीं आता है,उसी तरह से अपना दुख बांटने से उसका मजाक भी बनाया जाता है।
कुछ विवादों को यदि छोड़ दें तो ये बिल्कुल सच है और अर्थपूर्ण भी है कि दुख बांटने से हमें मानसिक सहारा मिलता है और दर्द का अहसास भी कम होता है। यदि हमारे दर्द को कोई सांत्वना या दिलासा का मरहम लगाता है तो मन को सुकून मिलता है।
वैसे ही खुशियाँ साझा करने से वह दोगुनी हो जाती है, जैसे कोई उपलब्धि, सफलता यह अच्छा समाचार घर परिवार में, दोस्तों ke साथ मनाने से आनंद दोगुना बढ़ जाता है।

इसलिए जीवन में खुशियों को बाँटने और दुख को हल्का करने की आदत डालनी चाहिए और यही संतोष पूर्ण जीवन की असली कुंजी है।

अमृत बिसारिया

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!