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जब मैंने होली खेली — उर्मिला पांडेय

संस्मरण
यह घटना बहुत पुरानी है कम से कम चालीस साल पहले की है। मैं आर्यकन्या इण्टर कॉलेज इटावा में पढ़ती थी। होली खेलने का मुझे ज्यादा शौक़ नहीं था फिरभी मेरी चाची भाभी मेरे ऊपर होली खेलतीं थीं मेरे मना करने पर भी वह हमें रंगों से रंग देतीं थीं मुझे अच्छा नहीं लगता था। होली खेलो और बाद में घण्टों बैठकर रंग साफ करो।
विद्यालय में भी मैं नहीं खेलती थी। लेकिन मेरी सहेलियां थी सीमा शर्मा रेखा चतुर्वेदी वह रंग डाले बिना नहीं रहतीं थीं। मैंने भी निश्चय कर लिया कि मैं भी इनके ऊपर अच्छी तरह से खेलूंगी मैं कभी रंग नहीं ले जाती थी विद्यालय में केवल अबीर गुलाल से ही खेलती थी अभी भी अबीर गुलाल से ही खेलती हूं। मैं भी रंग लेकर के उस बार विद्यालय में आई। लेकिन मैंने फिर भी होली नहीं खेल पाई उन दोनों को मेरे रंगों का पता चल गया उन्होंने मेरे रंग लेकर मेरे ऊपर ही डाल दिए मुझे मिला बाबा जी का ठेंगा।
मुझे अंदर बहुत ही गुस्सा आ रहा था पर मैंने कुछ कहा नहीं मेरी एक सहेली थी रुचि पाण्डेय वह रंग लाई थी मैंने उससे रंग लेकर उन दोनों रेखा और सीमा को अच्छी तरह से रंग दिया।
मेरा गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ,घर आकर मैंने नहाया रंग साफ किया साफ नहीं हुआ अगले दिन फिर घर पर होली मनाई गई।उस वर्ष तो मैंने इस प्रकार से होली खेली कि चाची भाभी किसी को भी रंगे बिना नहीं छोड़ा बहुत आनंद आया खेलने में चाची कहने लगीं उर्मिला बिटिया को इस बार क्या हो गया सभी को रंग देती है हाल कोई इसके ऊपर डाल ही नहीं पाता रंग क्या हो गया।जब मैंने चाचियों को भाभियों को अच्छी तरह से रंग दिया।तब मुझे अंदर बहुत खुशी हुई, मानों मैंने विद्यालय का सारा गुस्सा होली में चाची भाभी के ऊपर उतार दिया।
इटावा में मेरे घर से ही होली की फाग इकट्ठी होकर के चलती थी अब तो कोई गाता ही नहीं महिलाएं तो निकलतीं ही नहीं। मैंने होली में खूब गीत गाए जिससे बहुत खुशी हुई इस प्रकार मैंने पहली बार होली में हुड़दंग मचाया और धमाकेदार होली की शुरुआत की।
अभी भी मुझे रंग की होली अच्छी नहीं लगती लेकिन कोई अगर रंग डाल दे फिर मैं उससे बदला लिये बिना नहीं छोड़ती।उसको रंग करके ही छोड़ती हूं।
यही होली का आनंद है सभी भारतवासी एक होकर सबके ऊपर प्रेम का रंग बिखेरें तो कोई भी हमारा दुश्मन आतंकी हमारी तरफ आंख उठाकर नहीं देख सकते।जय हो आर्यावर्त की जहां प्रत्येक महीने में कोई न कोई त्योहार होता है केवल पौष मास (खरमास)को छोड़कर बाकी सभी महीनों में कोई न कोई पर्व अवश्य होता है।
जय हो होलिका मैया की। भारत माता की जय हो
उर्मिला पाण्डेय कवयित्री मैनपुरी उत्तर प्रदेश।

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