संक्षिप्त लेख : उड़ान — पालजीभाई राठौड़

” मंजिल उसी को मिलती है जिन सपनों में जान होती है,पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से *उड़ान* होती है।”
पक्षी के पास पंखों होती है मगर पंखों से
वो सिर्फ उड़ सकते है।
लंबा सफर तय करने के लिए हौंसला जरूरी है।
आत्मविश्वास जरूरी है।
जीवन के किसी भी क्षेत्र में विजय के लिए स्वयं पर विश्वास होना आवश्यक है।जीवन में सफल होने का एक सीधा सा मंत्र है।आपकी उम्मीद स्वयं से होनी चाहिए किसी और से नहीं। स्वयं के पैरों पर उम्मीद ही हमें किसी दौड़ में विजेता बनाती है।
सूर्य स्वयं के प्रकाश से चमकता है और चन्द्रमा को चमकने के लिए सूर्य के प्रकाश पर निर्भर रहना होता है। दूसरे के प्रकाश से प्रकाशित होने की उम्मीद रखने के कारण ही चन्द्रमा की चमक एक जैसी नहीं रहती। कभी ज्यादा कभी कम तो कभी पूरी तरह क्षीण भी हो जाती है।
कमल उतनी ही देर अपना सौंदर्य बिखेरता है जितनी देर उसे सूर्य का प्रकाश प्राप्त होता है। जीवन में सफल एवं सदा खुश रहना है तो दूसरों से किसी भी प्रकार की उम्मीद छोड़कर प्रभु कृपा के बल का भरोसा बनाए रखकर स्वयं ही उद्यम में लगना होगा ताकि संपूर्ण जीवन प्रसन्नता से जिया जा सके।
अपने अंदर गुस्से को। काबू में रखना किसी और के ऊपर फेंकने के लिए गरम कोयले को अपने हाथ में पकड़ने जैसा है।
जो अंधेरों और मुसीबतों से डर कर हार नहीं मानते, वो एक दिन ज़िन्दगी में सूरज बनकर उगते हैं अपना जमीर बेचने वाला चाहे करोड़पति ही क्यों ना हो उसकी असली कीमत दो कौड़ी की होती है।
एक पेड़ अपने फलों द्वारा ही पहचाना जाता है।एक व्यक्ति अपने कर्मों द्वारा। कर्म से ही मनुष्य महान है। कर्म से ही सारा जहां है। एक अच्छा काम कभी बेकार नहीं जाता। वो व्यक्ति जो शिष्टाचार के बीज बोता है वो मित्रता की फसल काटता है और जो दयालुता की फसल बोते है वो वह प्रेम इकट्ठा करते हैं। प्रेम,श्रद्धा, विश्वास, धैर्य,साहस, धर्म और कर्म इन सप्त सोपानो पर चढ़कर मनुष्य सफलता के शिखर को प्राप्त कर लेता है।
“चलते चलते लक्ष्य भी होवत समीप,
घिसते घिसते जीवन का भी समारोप।”
पालजीभाई राठोड़ ‘प्रेम’ सुरेंद्रनगर गुजरात