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लघु कथा)- प्रेम की शक्ति – श्रीनिवास एन

पर्वतों के बीच प्रेमियों विहार केलिए जाते है,वहां नदियां भी तेजी से बह रही है। पर्वत और नदी के बीच प्रकृति पुलकित होते हैं। दोनों प्रेमियों इस प्रकृति को देखकर अचरज होकर अपने आप भूल जाते हैं। दूर से आनेवाली नदियों में लहरें को देखकर मुग्ध होते ही कोनो को बोध नहीं है। देखते देखते रात हुआ था। दोनों को विस्मित से अनेक सवाल मन में उठ रहे हैं।
अब रात ने क्या होगा? अंधेरे में जैसे बिताना? अब हम क्या करना? यहां से जैसे बाहर जाना है? वैसे सोच रहे हैं। फिर वहां खड़े होकर अंधेरे ने देख रहे हैं। कुछ क्षणों के बाद दोनों प्रेमी प्रेमिका स्मारक के रूप में दिखाते थे।
यही प्रेम की शक्ति थी।
श्रीनिवास एन