प्रेम अंतिम भाग — कविता साव

एक नए सदस्य की एंट्री,
स्नेहा,हाय मुक्ति कैसी हो?
मुक्ति ,ठीक हूँ।
स्नेहा,बहुत दिनों से मेरे मन में एक प्रश्न था मुक्ति लेकिन शंका वस मैं तुमसे पूछ नहीं रही थी,लेकिन आज तो तुम मेरे प्रश्नों का उत्तर सही दे सकती हो और तभी मेरे मन को शांति मिलेगी।
मुक्ति, जी पूछिए।
स्नेहा,मैं सीधे मुद्दे पर आती हूँ,तो खाओ मेरी कसम कि तुम झूठ नहीं बोलोगी।
मुक्ति,अगर विश्वास है तो पूछिए,वरना रहने दीजिए,क्योंकि कसम खाकर मैं सच बोलूंगी ये आपको कैसे पता चलेगा।इसलिए बेझिझक पूछिए।
स्नेहा,क्या तुम प्रेम सर से प्यार करती हो।
मुक्ति,जी बिलकुल सही कहा आपने,हम एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते हैं।
स्नेहा,इसका मतलब जल्द ही वैवाहिक बंधन में बंधने वाले हो तुम दिनों,या फिर रिलेशनशिप में रहोगे।
मुक्ति,ना तो हम वैवाहिक बंधन में बंधेंगे और ना ही रिलेशनशिप में रहेंगे।हमारा प्यार किसी को पाने के लिए नहीं,बल्कि एक दूसरे को समझने के लिए है,जिंदगी के दुख दर्द बांटने के लिए है,खुशियों को दोगुना करने के लिए है।हमारे प्यार रिलेशनशिप का दूर दूर तक कहीं जिक्र नहीं,हमारे प्यार का मंजिल शादी भी नहीं है।
स्नेहा, इसका अर्थ है कि सर तुमसे प्यार नहीं करते बल्कि तुम्हारा यूज करते हैं।या फिर तुम उन्हें समझ ही नहीं पाई हो।आज के जमाने बिना मतलब के कोई किसी के साथ नहीं जुड़ता।
मुक्ति,माइंड योर लैंग्वेज,सर के विरुद्ध मैं कुछ सुनना पसंद नहीं करूंगी। आप जानती क्या हैं उनके बारें में,मुझे खुद से ज्यादा उनपर विश्वाश है।वो इंसान कभी किसी को धोखा नहीं दे सकता जो आपकी फिक्र करता हो ,आपको सुरक्षित देखना चाहता हो। रही बात सच्चाई की तो ऐसी कई बाते हैं जो हमें करीब लाती हैं।अक्सर उनका हमें याद करना,याद वो करे और बेचैन मैं होती,बात वो ना करे तो मैं रूठती नहीं,अपनी गलती का खुद एहसास करके उनका मुझे मानना, कसम खाना कि अब ऐसा दोबारा नहीं करूंगा।अगर सर ,खुद आकर मुझसे ये कहें कि उन्हें मुझसे प्यार नहीं बल्कि यूज किया है मेरा तो मैं नहीं मान सकती।वो इंसान जो बिना पूछे आपके सामने अपनी जिंदगी की किताब खोल दे ,धोखेबाज नहीं हो सकता।वो इंसान जो आपको किसी और के साथ नहीं देख सकता ,उसका प्यार झूठ नहीं हो सकता,और सबसे खास बात ये है कि हम जिंदगी के जिस मोड पर मिले हैं वहां छल की कोई गुंजाइश नहीं।
वैसे मैं बता दूं कि हमारा प्यार हमारे लिया एकमात्र एहसास है जिसकी कोई मंजिल नहीं ।हम एक दूसरे की चाहत में चाहें जितना मशगूल रहें पर दुनिया से गुल नहीं।हमारा प्यार अतृप्त था ,है,और रहेगा।हमें तृप्ति की कोई अभिलाषा नहीं।
वैसे भी प्रेम को मुक्ति कभी
नहीं मिल सकती,अगर मिल गई तो सृष्टि में खलल पड़ जाएगा।पुनः मनु और सतरूपा को धरती पर नव सृजन हेतु अवतरित होना पड़ेगा और उस वक्त भी वहाँ केवल प्रेम होगा मुक्ति नहीं।
कविता साव
पश्चिम बंगाल