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ओल्ड इज़ गोल्ड दूरदर्शन की सुनहरी यादें “सुरभि” कार्यक्रम — डॉ० रश्मि अग्रवाल ‘रत्न’

 

दूरदर्शन में हो दिव्यदर्शन । जिसमें एक ही जगह बैठ कर देश – विदेश की तमाम जानकारियाँ हमें मिल जाती थीं । दूरदर्शन के उस दौर में जब कई पारिवारिक धारावाहिक के अंतर्गत रामायण, महाभारत, हम लोग और बुनियाद दिखाए जा रहे थे । उसी समय एक बेहद महत्वपूर्ण कार्यक्रम “सुरभि” शुरू हुआ । इस कार्यक्रम का संचालन सिद्धार्थ काक और रेणुका शहाणे जी करते थे ।
यह अपने समय का अति लोकप्रिय कार्यक्रम था ।
इसमें देश-विदेश से आई तमाम चिठ्ठियों को एक बच्ची द्वारा चुनवा कर कार्यक्रम में पेश किया जाता था और उसमें पूछे प्रश्नों का समाधान सिद्धार्थ काकजी और रेणुका शहाणे जी द्वारा किया जाता था ।इन दोनों का बताने का अंदाज बहुत मोहक और निराला था ।लोग रेणुका जी की मुस्कान पर फिदा थे ।यह सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम था ।विभिन्न विषयों परयह कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाता था यथा गीत,संगीत नृत्य कला,संस्कृति इतिहास और सामाजिक मुद्दों को इसमें उठाया जाता था ।एक बार इसमें बनारस के दशाश्मेध घाट के पहले एक गली में स्थित राम रमापति बैंक के बारे में बताया गया था । जो अद्भुत था ।यहाँ से लोग कलम दवात पेपर ले जाते थे और सुबह स्नान कर शुद्ध मन से 6 महीने तक प्रतिदिन 1001 राम का नाम लिख कर सवा लाख नाम लिखा पेपर वापस ला कर जमा करते थे ।जिसको एक पोटली में बांध कर हाल में ऊपर रख दिया जाता था ।रामनवमी के दिनयह सारी पोटलियाँ उतार कर इन्हें सजा कर नीचे रखा जाता था । लोग आ कर के इन सभी पोटलियों की परिक्रमा करते थे । जरा सोचिए , करोड़ों लिखा राम – नाम की परिक्रमा का पुण्य लोगों को प्राप्त हो जाता था । मैं भी रामरमापति बैंक गई थी ।बहुत खूबसूरत मंदिर हाल में बना हुआ है । जिसमें राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी की मूर्ति लगी हुई है ।
ऐसी ही अलौकिकता इस धारावाहिक में दर्शाया जाता रहा है ।विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर लोगों को जागरूक करना इसका उद्देश्य रहा है ।तब न मोबाइल था और न इंटरनेट ।पत्र के माध्यम से ही प्रश्न पूछे जाते थे ।एक ही सप्ताह में 14 लाख पोस्टकार्ड मिलने पर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में इस प्रोग्राम का नाम शामिल कर लिया गया ।डाक विभाग के लोग भी इन पत्रों के कारण परेशान हो जाते थे ।इसी कारण उन्होंने इस पोस्ट कार्ड का दाम15 पैसे से बढ़ा कर ₹ 2 / -तक कर दिया फिर भी लोग प्रश्न पूछते ही रहे और इस कार्यक्रम के बारे में लिखते रहे । यह कहा जा सकता है कि ये कार्यक्रम कामयाबी का एक नया रिकॉर्ड कायम करने में सक्षम रहा ।

डॉ० रश्मि अग्रवाल ‘रत्न’

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