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आख़िरी रात – कहानी — उर्मिला पाण्डेय ‘उर्मि,कवयित्री 

आखिरी रात कहानी एक देशभक्त सैनिक के जीवन पर आधारित है।
शाम का समय था आकाश में पंक्षी कलरव कर रहे थे सूर्य अस्ताचल की ओर थे झरनों की कल कल ध्वनि सुनाई दे रही थी। ऐसे में निशा अपने पति आकाश की विदेश जाने की तैयारी कर रही थी उसके विवाह को अभी एक माह ही हुआ था। आकाश अपने गौने की विदा करवाकर अपनी नववधू नई नवेली दुल्हन को घर लाया था उसने १५, दिन की छुट्टी ली थी परंतु पांच दिनों के बाद ही उसके बड़े अधिकारी कर्नल का फोन आया कि भारतीय सीमा पर आतंकवादियों ने कश्मीर इलाके पर हमला किया है तुम्हें आना है आकाश भी एक देशभक्त कर्मठ नेक इंसान था उसने अपने बड़े अधिकारी साहब से कुछ भी नहीं कहा और अपनी पत्नी से कहा कि सैनिक जवानों के लिए सबसे पहले देश है उसके बाद में और कुछ मेरे जाने की तैयारी करो।
निशा की आंखों में आंसू भर आए और वह बोली औरत के लिए ससुराल में सबसे पहले पति ही होता है पति का प्यार उसने सोचा कि आखिर में मेरे पति नौकरी पर मेरे ही खातिर घर का खर्चा चलाने के कारण ही जा रहे हैं।अगर यह पापी पेट न होता तो कोई भी कोई काम नहीं करता। जैसा कि कहा गया है ना कोई जोता ना कोई बोता।जो पापी पेट न होता।
उसने अपने हृदय पर पत्थर रख कर आकाश से कहा कि मैं आपके जाने की तैयारी कर रही हूं।
मन ही मन में निशा रोती जा रही थी और पति की बातें उसे याद आ रहीं थीं।उस रात दोनों पति-पत्नी ने आनंद से बिताकर सुबह होने पर उसके पति आकाश ने अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान करने की तैयारी कर ली।
अपनी पत्नी से विदा ले कर वह जाने लगा अचानक ही उसके मुंह से निकल गया कि अब हमारे तुम्हारे मिलने की सुहानी रात कब आएगी।
पत्नी ने कहा ऐसा क्यों बोल रहे हो अभी तो छुट्टियां शेष बचीं हैं उनमें आ जाना। आकाश का मन खट्टा हो रहा था उसे लग रहा था कि बस पत्नी से मिलने की मेरी यही आखिरी रात थी।
निशा ने आकाश को विदा किया आकाश अपने माता-पिता का बहुत ही दुलारा प्यारा नैनों का तारा मात पितु भक्त इकलौता बेटा था माता पिता माता सत्यवती और पिता रमाकांत के पैर छूकर जाने लगा माता पिता ने खूब आशीर्वाद दिया।
अपने निर्धारित समय पर आकाश कश्मीर वांडर पर पहुंच गया। अधिकारी पीयूष ने उसकी बहुत ही तारीफ की और कहा तुम बहुत ही बड़े देश भक्त हो अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रहे हो। बहुत ही कर्मठता लगन साहस और दृढ़तापूर्वक काम करने वाले हो मैं तुम्हें देश भक्त होने का प्रमाण पत्र देता हूं जो अभी नई नवेली दुल्हन को छोड़कर अपना कर्तव्य निभाने के लिए चले आए तुम्हारे जैसे देशभक्त लाखों में एकाध ही होते हैं।
विधि का विधान था होनी को कोई टाल नहीं सकता आकाश युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ।
जब उसके गांव में उसके माता-पिता और पत्नी को यह सूचना मिली की उनका बेटा निशा के पति वीरगति को प्राप्त हो गये।शोक की लहर दौड़ गई।
निशा का रो रो कर बुरा हाल हुआ और उसने कहा कि मेरे पति कि मुझसे मिलने की वह आखिरी रात थी।
देश के नाम पर शहीद होने के कारण थोड़ा सब्र करो आकाश तो हमेशा के लिए अमर हो गए यह बात निशा को सभी ने समझाई।
उर्मिला पाण्डेय ‘उर्मि,कवयित्री मैनपुरी उत्तर प्रदेश।

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