जल महल स्थित परशुरामपुरी कॉलोनी में बनेगा नया धार्मिक केंद्र संतों के सान्निध्य में होगा प्राण प्रतिष्ठा समारोह

जयपुर, 15 मई 2025 — जल महल स्थित परशुरामपुरी कॉलोनी में एक ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। श्रीराम दरबार, मंगलेश्वर महादेव और मां दुर्गा की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन 18 मई को संत-महात्माओं की उपस्थिति में सम्पन्न होगा। इस अवसर पर पूरे क्षेत्र में भक्तिभाव का माहौल बन गया है।
आयोजन समिति के सर्वेश्वर शर्मा ने बताया कि इस महाआयोजन का नेतृत्व कॉलोनी विकास समिति के अध्यक्ष नरेश शर्मा (श्याम) कर रहे हैं, जिन्होंने मंदिर निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि कॉलोनी में वर्षों पुराना एक छोटा मंदिर था, जिसकी स्थिति अत्यंत जर्जर थी। भगवान की प्रेरणा से नरेश शर्मा ने नए और भव्य मंदिर के निर्माण का संकल्प लिया और कठिन संघर्षों के बाद अब 500 गज क्षेत्र में विशाल मंदिर का निर्माण हो चुका है।
कलश यात्रा के साथ होगा नगर भ्रमण
16 मई को सुबह 9 बजे गाजे-बाजे के साथ विशाल कलश यात्रा निकाली जाएगी। इस यात्रा में सैकड़ों महिलाएं एक समान परिधान में भाग लेंगी और मार्ग में पुष्प वर्षा के साथ शोभायात्रा का स्वागत किया जाएगा। कलश यात्रा के साथ ही श्रीराम दरबार, मां दुर्गा और भोलेनाथ की प्रतिमाएं नगर भ्रमण पर ले जाई जाएंगी। मंदिर पहुंचने के बाद 24 घंटे की अखंड रामायण का पाठ प्रारंभ होगा, जो 17 मई को दोपहर आरती के साथ संपन्न होगा।
18 मई को प्राण प्रतिष्ठा, महाआरती और महाप्रसादी का आयोजन
18 मई रविवार को अभिजीत मुहूर्त में प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। कार्यक्रम में जयपुर सांसद मंजू शर्मा, हवा महल विधायक स्वामी बालमुकुंदाचार्य, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच, महापौर कुसुम यादव, स्थानीय पार्षद व अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहेंगे। मूर्ति प्रतिष्ठा के पश्चात संतों व महंतों के सान्निध्य में महाआरती और विशाल महाप्रसादी का आयोजन होगा।
भक्ति, संकल्प और सेवा की मिसाल बना यह मंदिर
यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भक्ति और समाज सेवा के भाव को भी दर्शाता है। स्थानीय निवासियों ने इस आयोजन के लिए तन, मन और धन से सहयोग किया है। मंदिर निर्माण की यह कथा एक प्रेरणास्पद मत्स्यावतार बनकर उभरी है, जिसमें आस्था, संकल्प और संघर्ष तीनों की स्पष्ट झलक मिलती है।
यह आयोजन निश्चित ही क्षेत्र को धार्मिक और सांस्कृतिक ऊर्जा से परिपूर्ण करेगा।