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पर्यावरण के लिए संघर्ष संस्मरण – – डॉ संजीदा ख़ानम शाहीन

 

पेड़ के आभाव में बचपन और मानव जीवन प्रभावित प्रदूषित वायु पर्यावरण संक्रमण अतिशौध,
बात उस वक्त की है जब मैं और मेरा परिवार गर्मियों की छुट्टी में छुट्टियां गुजारने टाटा जमशेदपुर बिहार में हम अपनी टाटा सफारी में आनंद करते हुवे सभी परिवार वाले अंताकशिरी
खेलते हुए मौज मस्ती के साथ सफर में आगे बढ़ रहे थे सफर का मजा पल पल बढ़ रहा था उसी दौरान अचानक बहुत सारी भीड़ भाड़ उधम पहेल भागम भागी देखी,तो टाटा सफारी को रोकना पड़ा वहां जाकर देखा जमावड़ा क्यूं लगा हवा है
पता चला की बड़ी बिल्डिंग फेक्ट्री निर्माण के लिए बड़े बड़े विशाल पेढ़ों को काट दिया गया और उस पेढ़ के नीचे दबने से बच्चों को आहात पहुंचने से मौका ए वारदात पर मौत हो गई कुछ लोग बिजली के तारों की चपेट में आ गए और बहुत सारे बच्चे बड़े बूढ़े जवान फैक्ट्री कि चिमानियों से निकली जहरीली गैस से मर गए और कुछ बचे बीमारी ग्रस्त जीवन का शिकार हो गए,
रोग ,टी.बी. सिलिकोसिस,दमा,सांस,से पीड़ित अत्यंत दुखी दयनीय, दृश्य,स्थिति भयंकर दुखद
ये सारा मंजर देख कर सफर का सारा मज़ा खराब
अत्यंत पीड़ा देय मंज़र मानव जीवन पर इतना बड़ा संकट इतना बडा , खतरा मानव जीवन अस्त-व्यस्त मानो क़यामत आ गई हो, सभी की आखो मे आसू निरंतर कलेजा चीर रहे हो । निशब्ध खेद सब चुप-चाप (तस्वीर मे दिये बच्चे का जो हाल है उसी को दर्शाते हुए समतुल्य घटना ,कहानी ये सब कुछ पेड़-पौधे कटने की वजह से हुआ जीवन इन पेड़-पौधे से है, और हम क्या कर रहे खुद मौत को बुलावा दे रहे हैं,मर रहे ,बिमार हो रहे, क्यू? ये सवाल बहुत मार्मिक है, हमे कुछ करना होगा हर रोज एक इन्सान एक पौद लगाये और हजारो पैड लगेंगे तोह ही ये खतरा टल सक़ता है मानव जीवन इस वजह से आज मास्क के पीछे अपने चेहरे को छूपाता रहेगा। )इस प्रॉब्लम का हल हमे ज्यादा से ज्यादा संख्या मे पढ लगाओ अभियान चलाना होगा मानव जीवन बचाना होगा।

मौलिक ,अप्रकाशित, स्वरचित
डॉ संजीदा खानम ‘शाहीन’

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