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संस्मरण – How can possible — ललिता भोला “सखि “

 

बात 2014 की है 5 वर्ष बीमार रहने के बाद जब मैं स्वस्थ हो गई तो एक विद्यालय में इंटरव्यू देने गई साथ में मेरे एक महिला भी थी तथा उनकी बेटी भी जो बीए पास थी !
विद्यालय ऑफिस में बुलाया गया मुझसे कुछ प्रश्न पुछे गए अनुभव पुछा गया ! मैनै कहा आठ वर्ष का अनुभव है! फिर उन्होंने शिक्षा पुछा मैंने कहा मैं दशवीं पास हूं परन्तु आठ वर्ष पढ़ाने का अनुभव है!
उन्होंने कहा how can possible???आप प्री प्राइमरी कैसे पढ़ा सकते हैं!
पास ही खड़ी निशा से पुछा कहां तक पढ़ाई की हो ?
निशा ने कहा बीए फाइनल! निशा का जवाब सुनकर उसे विद्यालय में शिक्षक पद हेतु रख लिया गया!अगले दिन सुबह से आने के लिए कहा गया! निशा को कुछ समझ नही आया उसने मैम से कहा मैं कभी नहीं पढ़ाया ये पढ़ाती हैं और अच्छा पढ़ाती हैं हम सभी भाई बहन इनके मार्गदर्शन में पढ़े हैं परंतु उन्होंने एक नही सुना!

अब वापस आते समय मेरी आंखों में आंसू थे मेरे मन में सवाल उठता अनुभव काम नही आता ?काम आएगी डिग्री!काश !! मेरे पिता मुझे खूब पढ़ाते या मेरे पति पढ़ा दिये होते विवाह के समय सभी ने हामी भरी थी आगे पढ़ाएंगे! ऐसे सैंकड़ों सवालों मेरे मन में चलता रहा!
बहुत हताश-निराश हुई !
२०१५ में १२ वीं कक्षा में एडमिशन लिया फिर से हिम्मत करके ! बारहवीं कक्षा पास हुई शिक्षक का प्रशिक्षण लिया दो वर्ष की डिग्री ली एन टी टी टीचर की सरकारी नौकरी परीक्षा पास हुई बीए फाइनल किया एम में थी इसी बीच २०२१ बसंत पंचमी को ट्यूशन प्वाइंट नाम दिया ट्यूशन सेंटर को ! ज्योति मैम , सुनीता मैम साथ साथ शिक्षा सेवा में अनवरत लगे रहे!
एक दिन उसी विद्यालय की संचालिका ने फोन किया मुझे बुलाया!
उसी विद्यालय की शिक्षिका ट्यूशन प्वाइंट में भी बच्चों को पढ़ाती हैं!उनके कहने पर आपको नीलम मैम ने बुलाया है!
मैं एक दिन उस विद्यालय में इतने वर्षों बाद गई! पुरानी सभी बातें उस विद्यालय परिसर में याद आ गई!
नीलम मैम ने सम्मान से मुझे बैठने को कहा! औपचारिक बातचीत के बाद मैंने उनसे पूछा मैम आपने पहचाना मुझे मैं कभी आपके विद्यालय में नौकरी के लिए आई थी….नही में सिर हिलाया उन्होंने और आश्चर्य से भी !उनको बताया मैं उस समय दशवीं पास थी इसलिए मुझे नहीं लिया गया था उन्होंने सौरी बोला…मैं बोली आप अपनी जगह बिल्कुल सही थे मैम कृपया सौरी न बोलें आपकी प्रिंसिपल ने वही किया जो उचित था !
मैम आज मैं बीए फाइनल कर लिया एम ए कर रही हूं
साथ ही साथ टीचर ट्रेनिंग ली है!
आज मुझे ट्यूशन प्वाइंट की वजह से जाना उन्होंने उनके विद्यालय से ही सुनीता मैम रेनू मैम और आज सोनम मैम मेरे साथ साथ शिक्षा सेवा में लगे हैं! चुकी मैं भी नीजी विद्यालय में शिक्षिका का कार्य किया है मुझे सभी शिक्षिकाओं से प्यारे प्यारे बच्चों से लगाव है !

शिक्षा – कोई भी कार्य में उम्र बाधा नहीं होती हम किसी भी उम्र में पढ़-लिखकर अपने को आगे बढ़ा सकते हैं!
ये सत्य है शिक्षा मनुष्य को आगे बढ़ाती है! आलसी मनुष्य ही बहाने बनाते हैं! जिसे कुछ बनने की लालसा होती है जिज्ञासा होती है सीखते रहने की ,उनको राह मिल ही जाती है!
एक और बात अगर आप असफल होते हैं तो उसे सकारात्मक दृष्टिकोण से लें कुछ अच्छा करना होगा जीवन में ईश्वर ने और भी कुछ अच्छा अवसर आपके लिए संजोए हैं!ऐसा सोचिए! नकारात्मक न सोचें!आपने कोशिश तो की जीवीत होने का परिचय तो दिया है निरंतर प्रयास करें!

ललिता भोला “सखि ”
जयपुर राजस्थान

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