विलक्षण सौंदर्य से भरपूर- ‘कनकुंड’ — मंजू शर्मा “मनस्विनी”

पूर्वी भारत में स्थित ओडिशा राज्य अपने ऐतिहासिक स्थलों और शानदार कलाकृतियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। ओडिशा में विश्व भर से पर्यटक समुद्र तट से लेकर तीर्थ स्थलों को देखने और दर्शन करने आते है लेकिन आज मै मंजू शर्मा आपको अपने साथ लेकर चल रही हूंँ ओडिसा के एक ऐसे स्थान पर जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, जो कि पर्यटन के क्षेत्र में अभी तक लगभग अनछुआ है। इस स्थान का नाम है – “कनकुंड”, इसे ओडिशा के कई ऑफबीट स्थानों में गिना जाता है, क्योंकि इस स्थान की सुंदरता अभी तक व्यावसायीकरण से काफी हद तक अछूती है।
यह अदभुत स्थान ओडिशा राज्य के, सुंदरगढ़ जिले, बालीशंकर ब्लॉक में स्थित है।अब इस ग्रांड कैन्यन, कनकुंड का नाम बदलकर ओडिशा विभाग ने कान्हा कुंड रख दिया है। यह सुंदर स्थान किसी चमत्कार से कम नहीं है। ‘कनकुंड’ का विलक्षण सौंदर्य देखने वालों के मन में रोमांच भर देता है। ये स्थान खुबसूरत होने के साथ ही शांतिपूर्ण भी है, कनकुंड के बारे में सबसे पहली बात जो आपको प्रभावित करती है, वह है इसकी भव्यता। इस स्थान को देख कर लगता है कि मानों स्वयं प्रकृति ने पत्थरों पर कविता उकेरी है। गहरी घाटियाँ और नुकीली चट्टानें, बलुआ पत्थर और बेसाल्ट के विभिन्न रंगों से बनी हुई हैं जो कि यकायक ही आपको अमेरिका के प्रसिद्ध जगह ग्रैंड कैन्यन की याद दिलाती है।
ओड़िशा की गोद में छिपे इस सुदूर स्थान की प्राकृतिक सुंदरता को शब्दों में बयांँ नहीं किया जा सकता। आप इसके अद्भुत सौंदर्य को इसके नजदीक जा कर अपनी खुली आँखों से देखकर ही अनुभव कर पायेंगे कि प्रकृति ने अपने आँचल में हमारे लिए कितने अनमोल खजाने संजो रखें है। मेरा ऐसा मानना है कि खुली आँखों से अगर सौंदर्य को निहारना है तो “किसी को भी इस स्थान पर जाना चाहिए । वहांँ से आये एक यात्री ने मुलाकात के दौरान कहा मेरे लिए, यह भगवान की शानदार कलाकृतियों में से एक है।
यहाँ पर जाने के लिए मानसून खत्म होने के बाद का समय सबसे अच्छा है क्योंकि बारिश के मौसम में पत्थरों पर फिसलन बढ़ जाने का खतरा रहता है। दूसरे मानसून के बाद मौसम भी सुहाना हो जाता है जो कि पिकनिक मनाने वालों के लिए सही समय हैं। यह प्राकृतिक स्थल बहुत ज्यादा फेमस तो नहीं है। लेकिन अब लोगों की नजर उस पर पड़ चुकी है। बहुत जल्द ही ये स्थान सुर्खियों में होगा। वर्षों से यहाँ बह रही है, इब नदी के तेज बहाव से चारों ओर चट्टानी तल पर गड्ढे हो गए हैं। अपने पथरीले रास्ते से बहती नदी की गर्जना को सुनना चाहते हैं तो वहाँ कुछ देर ठहर जाएँ।
इस जगह का नीला-नीला पानी मन मोह लेता है । पानी का रंग सूरज की रोशनी से पूरे क्षेत्र में चमकता हुआ विशेष आभा प्रदान करता है। खोपड़ियो के जैसी बनी पत्थरों की आकृतियों के दृश्यों का वर्णन कर पाना संभव नहीं।
स्थानीय आध्यात्मिकता में रुचि रखने वालों के लिए, कनकुंड के आस-पास का इलाका छोटे-छोटे मंदिरों और तीर्थस्थलों से भरा पड़ा है। ये स्थल, जो अक्सर चट्टानों के किनारों पर या घाटियों के भीतर छिपे होते हैं, यात्रा में रहस्यवाद का तत्व जोड़ते हैं। यही कारण है कि कनकुंड ओडिशा में एक ऐसी जगह है, जहाँ आपको जरूर जाना चाहिए।एक विशेष बात-यहाँ जाते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखें। कटी हुई चट्टानों की आकृतियां तीखी है। इसलिए चप्पल-जूते मजबूत इस्तेमाल करें। किनारे पर कोई कचरा न करें। खानें पीने का कुछ सामान और आवश्यक चीजें अपने साथ जरूर लेकर जाए। मुझे विश्वास है कि यदि आप एक बार यहांँ आते हैं तो आपका वापस लौट कर जाने को मन नहीं करेगा।
मंजू शर्मा “मनस्विनी”
कार्यकारी संपादक