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बदलते पारिवारिक रिश्ते (कहानी) — राजेन्द्र परिहार “सैनिक”

 

श्याम सुंदर नामक एक किसान हुआ करता था। कुंदनपुर गांव में, पत्नी लक्ष्मी जो कि अनपढ, किंतु कुशल गृहिणी थी। श्याम सुंदर के दो बेटे थे। बड़ा बेटा विवाहित था और बहू भी बहुत ही सुशील स्वभाव की समझदार स्त्री थी। गांव को कस्बा तो नहीं कह सकते किन्तु बड़ा गांव था। कुंदनपुर में श्याम सुंदर एक हैसियत वाले किसान कहलाते थे। छोटा बेटा कमल पढ़ाई कर रहा था और ऊंचे सपने देखा करता था। कमल का मन गांव में नहीं लगता था वो शहर में रहना चाहता था। श्याम सुंदर ने पूरे गांव में अपने स्वभाव से पारिवारिक रिश्ते बना रखे थे,इसका लाभ भी प्राप्त होता रहता था उसे, उसके हर काम में पूरा गांव साथ दिया करता था। कहते हैं कि हंसी खुशी के माहौल में समय पंख लगाकर उड़ जाता है।

आज उसका छोटा बेटा कमल भी अपनी पढ़ाई पूरी कर अच्छे पद पर अधिकारी बन चुका था और उसका विवाह भी एक संभ्रांत परिवार में इकलौती लड़की सुमन से हो चुका था। सुमन का ससुराल में मन नहीं लगता और वो कमल से शहर में मकान लेने और रहने को उकसाती रहती। वो अपने सास ससुर,जेठ जेठानी को असभ्य और गंवार समझती थी। कुछ दिन अच्छे बर्ताव का नाटक करती रही।धीरे-धीरे अपने असली रंग दिखाने शुरू कर दिए।अपनी चालाकी और झूठ बोलने और फिर साफ मुकरने की आदत से परिवार में अशांति का माहौल बन गया। असत्यता का आवरण ओढ़ लेने के कारण धीरे-धीरे परिवार से अलग थलग पड़ गई और अपने कमरे में बैठकर मोबाइल की आभासीदुनिया से जुड़ाव बना लिया। उसके स्वभाव में परिवर्तन की आस लगाए बैठे परिवार को केवल निराशा ही हाथ लगी। परिवार की प्रगति को जैसे ग्रहण लग गया था। उसके स्वभाव और गलतियों से कमल भी अनभिज्ञ नहीं था। लेकिन वो भी पत्नी को समझा समझा कर हार मान चुका था। हंसते खेलते परिवार को ग्रहण लग चुका था।

राजेन्द्र परिहार “सैनिक”

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