योगासन करिए — अशोक पटसारिया नादान

बीमारी से बचना हो तो, योगासन करिए।
रेचक पूरक कुंभक करके, स्वाँस खूब भरिए।।
उठो ब्रह्म-बेला में प्रतिदिन, शौच आदि करके।
बाहर मलय -पवन बहती है, श्वासें लो भरके।।
योग करो आत्मा का मन से, कष्ट सभी हरिए।
बीमारी से बचना हो तो, योगासन करिए।।
निकलो सैर -सपाटे पर तुम, अपने बचपन से।
दुनियाँ में बीमार सभी हैं, दुखी सभी तन से।।
तुम निरोग रहना चाहो तो, स्वाँसों को भरिए।
बीमारी से बचना हो तो, योगासन करिए।।
आसन प्राणायाम सभी कुछ, मुद्रा -बंद मिले।
अष्टचक्र का ज्ञान मिला है, जीवन पद्म खिले।।
सबने स्वागत किया हृदय से, भाव हृदय भरिए।
बीमारी से बचना हो तो, योगासन करिए।।
खुले शुषुम्ना द्वार साधना, से मन निर्मल हो।
अंतर्चक्षु खुलें जब हृद के, पथ यह निश्चल हो।।
दुखे नहीं नादान कभी दिल, ईश्वर से डरिए।
बीमारी से बचना हो तो, योगासन करिए।।
अशोक पटसारिया नादान