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व्यास गद्दी और योग्यता – उर्मिला पाण्डेय उर्मि

व्यास गद्दी और योग्यता सुनने में अजीब सा लगता है। लेकिन व्यास गद्दी और योग्यता का बहुत बड़ा गहरा संबंध है।
अभी अभी जो इटावा के दांदरपुर गांव में घटना घटी है कि व्यास गद्दी पर जो व्यक्ति व्यास बनकर आए उसको पूजन करवाना श्लोक पढ़ना इसका ज्ञान ही नहीं था और उनका आचरण भी सही नहीं था। व्यास जी की गद्दी पर मैंने देखा है कि बड़े बड़े संत महात्मा तक नहीं बैठ पाते। सत्संग में प्रवचन दे सकते हैं जब तक उतनी योग्यता नहीं है व्यास गद्दी पर बैठने अधिकारी नहीं हो सकते। व्यास गद्दी पर जो बैठता है वह ज्ञानी विरक्त जिसके कंठ में सरस्वती का वास हो सत्य का वाचन करता हो।बृह्म का ज्ञाता हो। व्यास गद्दी एक पावन सत्य मार्ग पर ले जाने वाली महान् पूजनीय गद्दी है।इसपे जो बैठता है उसका सम्मान सभी लोग कर सकें ऐसे व्यक्ति को ही व्यास गद्दी पर बैठने का अधिकार है।
योग्यता और भक्ति भावना योग्यता अलग चीज है भक्ति भावना अलग अलग हैं भक्त तो कोई भी हो सकता है। लेकिन व्यास गद्दी का अधिकारी वेदपाठी हो पुराणों उपनिषदों शास्त्रों का ज्ञाता हो कुशल वक्ता हो। वही अच्छी तरह से सभी को समझा सकता है व्यास गद्दी इतनी पूजनीय होती है कि उस पर बैठने वाले का सभी लोग सम्मान करते हैं नतमस्तक होते हैं।इसकी गरिमा का ध्यान रखना होगा और जो इसके योग्य हो उसी को इस गद्दी पर बैठाइए जो सर्व समाज उनका सम्मान कर सके।सिर झुका सके। आजकल तो भागवताचार्यों की भीड़ लगी हुई है अपने नाम में शास्त्री लगा लिया और करने लगे भागवत गा गा कर आता तो कुछ भी नहीं उनसे पूछो कि अट्ठारह पुराणों के नाम बताइए नहीं बता पाएंगे। गायत्री मंत्र की व्याख्या भावार्थ नहीं कर पाएंगे वह क्या भागवत कथा कहेंगे भागवत में अट्ठारह हजार श्लोकों का वाचन शुद्ध रूप से किया जाना चाहिए। अभी दांदरपुर गांव में यही तो हुआ एक तो वह बिल्कुल अज्ञानी और छल कपट से इस गद्दी पर बैठकर अपना सम्मान करवाने के लालची और उसे अपना व्यवसाय बनाने वाले व्यक्ति थे। व्यास गद्दी पर छल कपट दंभ पाखंड ईर्ष्यालु लोभी असत्य भाषण करने वाले को नहीं बैठना चाहिये तुम बृह्म सत्यं का उपदेश दे रहे हो और अपनी जाति और योग्यता छिपाकर भागवत का वाचन करोगे तो दंड तो मिलेगा ही तुम्हारी बनावटी ढोंग दिखावा अधिक नहीं चल सकता छोटे मोटे समूह में कथा कह सकते हो परंतु सार्वजनिक रूप से सभी वर्णों के सामने योग्य व्यक्तियों के सामने तुम कथा नहीं कह सकते। इटावा दांदरपुर गांव में यही तो हुआ। इसलिए याद रखिए व्यास गद्दी की मान मर्यादा की पहचान पिटारी होती है।उस पर बैठने वाले को ज्ञानी विद्वान उसके योग्यता से युक्त होना चाहिए।कहावत है कि__
जाको काम ताहि कों साजै।
और करे तो डंका बाजे।।
जो उसके योग्य है उसी को उसपर बैठने का अधिकार है।।
उर्मिला पाण्डेय उर्मि कवयित्री मैनपुरी उत्तर प्रदेश।

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