बढ़ती जनसंख्या के कारक, लाभ और हानि तथा भारत पर इसका असर: — सुरेशचन्द्र जोशी

जनसंख्या का बढ़ना, जहाँ एक ओर देश की श्रमशक्ति को बढ़ाता है, वहीं दूसरी ओर यह देश के सीमित संसाधनों पर विपरीत प्रभाव भी डालता है।
कहा जाता है “अति सर्वत्र वर्जयेत” अर्थात अति हर चीज की बुरी होती है चाहे खाना हो या पानी हो या फिर वह जनसंख्या हो।
बढ़ती जनसंख्या आज भारत और विश्व के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है। 140 करोड़ जनसंख्या (विश्व में सबसे अधिक, सीन से भी आगे) वाले भारत जैसे विकासशील देश में जनसंख्या विस्फोट के कारण गरीबी, बेरोजगारी के बढ़ने के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य की सेवाओं में कमी की समस्या तेजी से बढ़ रही है।
बढ़ती जनसंख्या के कारक:
कम उम्र में विवाह, अशिक्षा के अतिरिक्त अधिक जन्म दर, मृत्यु दर में कमी और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारक हैं। अधिक बच्चे पैदा होना, खासकर विकासशील देशों में, जनसंख्या वृद्धि का एक प्रमुख कारण है। यदि जन्म दर मृत्यु दर से अधिक है, तो जनसंख्या बढ़ेगी।
१.उच्च जन्म दर:
जब किसी देश या क्षेत्र में बहुत अधिक बच्चे जन्म लेते हैं, तो उसे जन्म दर में वृद्धि कहा जाता है। जन्म दर में वृद्धि का अर्थ है प्रति 1,000 जनसंख्या पर प्रतिवर्ष होने वाले जन्मों की संख्या में बढ़ोतरी। भारत में प्रति 1000 में 40 से 50 जन्म दर को उच्च जन्म दर माना जाता है।
भले ही भारत की जन्म दर अब गिर रही है फिर भी कई क्षेत्रों में यह आज भी अच्छी खासी है।
जन्म दर में वृद्धि के कारण:
क. परिवार नियोजन के साधनों की जानकारी का अभाव,
ख. शिक्षा का अभाव विशेष कर महिलाओं में,
ग. बाल विवाह और बड़े परिवार की चाहत में भी लोग ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं,
घ. स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित उपलब्धता और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता का अभाव।
२.मृत्यु दर में कमी:
जिस क्षेत्र में मृत्यु की संख्या उम्मीद से कम हो गई हो उसे निम्न मृत्यु दर कहते हैं। वर्ल्ड बैंक के अनुसार भारत में प्रति 1000 में मृत्यु दर 7.3 है। इस निम्न मृत्यु दर के कारण भारत में जनसंख्या में वृद्धि हो रही है।
मृत्यु दर में कमी के कारण:
क. बेहतर चिकित्सा सुविधा
ख. स्वच्छ का और जीवन स्तर में सुधार।
३.सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं:
कुछ संस्कृतियों में, बड़े परिवारों को शुभ माना जाता है, और कुछ धार्मिक मान्यताओं के कारण भी जनसंख्या वृद्धि हो सकती है।
४.कम उम्र में विवाह:
विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, कम उम्र में विवाह और जल्दी बच्चे पैदा करने की प्रथा भी जनसंख्या वृद्धि का कारण है।
५.अशिक्षा:
अशिक्षा, खासकर महिलाओं में, जनसंख्या वृद्धि का एक और कारण है। अशिक्षित महिलाओं में आमतौर पर अधिक बच्चे होते हैं
६.आप्रवासन:
कुछ क्षेत्रों में, आप्रवासन भी जनसंख्या वृद्धि का कारण बन सकता है। आप्रवासन का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह का एक देश या क्षेत्र से दूसरे देश या क्षेत्र में स्थायी या अस्थायी रूप से बसने के उद्देश्य से जाना।
७.अवैध नागरिक:
अवैध नागरिक भी जनसंख्या वृद्धि का एक कारण है। मैं अभी 2 दिन पहले ही सुन रहा था कि भारत में 06 करोड़ के आसपास रोहिंग्या अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेश और पाकिस्तानी नागरिक हैं।
जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव:
जब किसी देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ती है और उपलब्ध संसाधनों की तुलना में अधिक हो जाती है, तो यह कई क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव डालती है:
१.पर्यावरण पर प्रभाव:
जनसंख्या वृद्धि का मतलब है अधिक लोग अधिक लोगों का मतलब है अधिक कचरा, अधिक वाहनों का उपयोग और औद्योगीकरण जिसके कारण भूमि और जल प्रदूषण बढ़ता है।
जनसंख्या वृद्धि के कारण आवास खेती और उद्योगों को लगाए जाने के लिए जंगलों को काटा जाता है जिससे पर्यावरण में असंतुलन के कारण जलवायु परिवर्तन की समस्या पैदा होती है।
जनसंख्या वृद्धि के कारण जल और ऊर्जा के साधनों का अत्यधिक दोहन होने के कारण उनकी कभी होने लगती है।
२.समाज पर प्रभाव:
जनसंख्या वृद्धि समाज में तनाव के साथ-साथ असंतुलन पैदा कर सकती है। इसके कारण गरीबी में वृद्धि, शिक्षा और रोजगार में कमी, स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट के साथ-साथ समाज में अपराध की प्रवृत्ति में बढ़ोतरी हो सकती है।
३.अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में कई तरीके से अवरोध खड़े करती है। इनमें प्रमुख हैं प्रति व्यक्ति आय में गिरावट, शिक्षा स्वास्थ्य परिवहन व जल जैसे बुनियादी ढांचे पर अत्यधिक बोझ, विकास की असमानता और मुद्रास्फीति तथा महॅंगाई का बढ़ना।
उपरोक्त से स्वत: स्पष्ट है कि किसी भी देश के आर्थिक विकास और प्रगति के लिए जनसंख्या में वृद्धि कितनी बाधक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण किसी भी देश को लाभ की तुलना में हानियाँ ही अधिक हैं।
सुरेशचन्द्र जोशी उत्तराखंड पिथौरागढ़।