आलेख:- पैसे और पद के लोभ में अपने बूढ़े माँ बाप को छोड़ कर विदेश में बस जाना कहाँ तक उचित है — रमेश शर्मा

आज के युग में युवाओं की आकांक्षाओं की उड़ान बहुत ऊंची है। वे पैसे और पद के लालच में अपने परिवार जनों को छोड़ कर विदेश में जाकर बस जाते हैं।
जिन माता पिता ने अपने खून पसीने से उनकी परवरिश में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। यह सोचकर कि एक दिन पढ़ लिख कर अच्छे पद पर लगकर बेटा उनके नाम को रोशन करेगा और उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा। वही बेटा एक दिन पैसे और पद के लालच में विदेश जाकर उन्हें भूल जाता है।
याद दिलाने पर कहता है पढ़ाना लिखाना और मेरी परवरिश करना आपका फर्ज था जो आपने निभाया। ऊंची सोसायटी में बैठ कर उसे अपने माँ बाप का स्तर नीचा दिखता है। पहले एक कहावत थी कि पूत कपूत तो क्यूँ धन सींचे और पूत सपूत तो क्यूँ धन सींचे। आज के समय में यह कहावत फेल है। आपके पास पैसा है तो आपके बच्चे बुढ़ापे में आपकी सेवा करेंगे और पैसा नहीं है तो बैठे रहिये। पैसा है तो बच्चे सेवा ना भी करें तो भी पैसे से आप नौकर रख कर अपनी सेवा करवा सकते हैं।
आज के समय में संतानों से अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए।
जय श्रीराम
रमेश शर्मा